खांसी में शहद (Honey) को घरेलू उपाय के रूप में बेहतरीन माना जाता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट रोगाणु से लड़ने में सहायक होते हैं.
खांसी (Cough) को स्वास्थ्य के लिए खराब माना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है. यह अस्थायी होती है और गले में सांस (Breathe) लेने का रास्ता इससे साफ हो जाता है. बाहरी कण खत्म हो जाने पर खांसी भी चली जाती है. कई बार यह स्थायी रूप से रह जाती है, उस स्थिति में इलाज (Treatment) की जरूरत होती है. इसके पीछे, धूल, मिट्टी, प्रदूषण आदि कई कारण हो सकते हैं. सूखी खांसी के साथ गले में जलन से निपटने के लिए कुछ यहां कुछ घरेलू टिप्स (Home Remedies) बताए गए हैं, जिनका इस्तेमाल आप खांसी के दौरान कर सकते हैं.
शहद
खांसी में शहद को घरेलू उपाय के रूप में बेहतरीन माना जाता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट रोगाणु से लड़ने में सहायक होते हैं. इसके अलावा गले में खराश खत्म करने में भी शहद अहम है. इस स्टडी से यह पता चला कि सर्दी और खांसी के इलाज में शहद का इस्तेमाल करना ओवर द काउंटर दवाओं से भी बेहतर होता है. हर्बल टी या नीम्बू पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार इसे पीना चाहिए.
नमक के पानी से गरारे
नमक के पानी से गरारे गले में सहायक है. गले की खुजली मिटाने के अलावा नमक के पानी से गरारे करने पर फेफड़ों में बलगम भी कम हो सकता है. एक कप गर्म पानी में एक चौथाई नमक मिलाने के बाद इससे दिन में कई बार गरारे करने चाहिए. गले में होने वाले टोंसिल में भी इससे फायदा होता है.
अदरक
अदरक से खांसी की समस्या खत्म हो सकती है. सर्दियों में कालीमिर्च और अदरक की चाय पीने से खांसी में राहत मिलती है. शहद के साथ भी अदरक की चाय पी जा सकती है. ज्यादा अदरक की चाय से पेट खराब हो सकता है इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही पीना चाहिए.
पिपरमेंट
पिपरमेंट का मेंथोल कम्पाउंड खांसी को परेशान कर सकता है. गले की जलन और दर्द से राहत प्रदान करने में भी पिपरमेंट सहायक है. दिन में दो से तीन बार पिपरमेंट की चाय पीने से गले में खांसी की समस्या में आराम मिलता है. अरोमाथेरेपी के रूप में आप पिपरमेंट तेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. सर्दियों में पिपरमेंट का इस्तेमाल लाभदायक है.
नीलगिरी का तेल
नीलगिरी के तेल से सांस लेने की नली की सफाई होती है. नारियल तेल या जैतून के तेल में नीलगिरी की बूंदें मिलकर छाती पर मालिश करें. इसके अलावा गर्म पानी की कटोरी में नीलगिरी के तेल की बूंदें मिलकर भाप भी ली जा सकती है. नीलगिरी से छाती हल्की होकर सांस लेने में आसानी होती है.
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