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GST को आसान बनाने के लिए कारोबारियों ने सीतारमण से मांगा समय, कहा ये कि…!

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टैक्स पर टैक्स के जंजाल से मुक्ति दिलाने के मकसद से मोदी सरकार ने जीएसटी (GST) प्रणाली को लागू किया था. 1 जुलाई 2017 से देश भर में जीएसटी लागू होने के बाद इसमें कई संशोधन किए जा चुके हैं.

टैक्स पर टैक्स के जंजाल से मुक्ति दिलाने के मकसद से मोदी सरकार ने जीएसटी (GST) प्रणाली को लागू किया था. 1 जुलाई 2017 से देश भर में जीएसटी लागू होने के बाद इसमें कई संशोधन किए जा चुके हैं. इसके बाद भी मौजूदा जीएसटी सिस्टम की जटिलता (Complication) की वजह से देश भर के व्यापारी परेशान हैं. व्यापारी संगठन कैट ने मौजूदा जीएसटी सिस्टम को औपनिवेशिक (Colonial) करार दिया है. कैट ने कहा कि वह जीएसटी टैक्स बेस और सरकार के राजस्व को बढ़ाने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना चाहता है, लेकिन टैक्स प्रणाली को तर्कसंगत और सरलीकृत किया जाना चाहिए.

पीएम नरेंद्र मोदी के विज़न के विपरित है मौजूदा जीएसटी
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी जिसे गुड एंड सर्विस टैक्स के रुप में प्रचारित और प्रसारित किया गया वास्तव में यह इसके विपरित साबित हो रहा है. पिछले साढ़े तीन सालों में कई संशोधन और बदलाव किए जाने के बाद भी यह कर प्रणाली काफी जटिल है. व्यापारियों पर इस कर प्रणाली का अनावश्यक बोझ पड़ता जा रहा है. अपनी परेशानियों और दिक्कतों से रुबरू कराने के लिए देश के व्यापारी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से मिलने का समय मांगा है.

साढ़े तीन साल के बाद भी जीएसटी पोर्टल पुराने ढर्रे पर कर रहा है काम

व्यापारियों ने निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि देश में जीएसटी लागू हुए साढ़े तीन साल से अधिक का समय हो गया है इसके बाद अभी भी इसका पोर्टल कई चुनौतियों को लेकर संघर्ष कर रहा है. इस दौरान कई नियम बदले गए हैं, लेकिन पोर्टल को समय पर अपडेट नहीं किया गया. व्यापारियों ने कहा कि अभी तक सेंट्रल एडवांस रुलिंग अथॉरिटी का गठन नहीं किया गया है.

राज्यों को इससे संबंधित नियम-कानूनों की व्याख्या अपने तरीके से करने के लिए छोड़ दिया गया, जिससे वन नेशन वन टैक्स का लक्ष्य भी प्रभावित हो रहा है. कैट ने दावा किया कि जीएसटी अथॉरिटी जीएसटी अनुपालन में विशेष दिलचस्पी ले रहे हैं बजाय इस बात के कि आज भी बड़ी संख्या में देश के व्यापारी खुद को कंप्यूटराइज्ड नहीं कर पाये हैं. व्यापारियों को कंप्यूटर व्यवस्था से लैस किए जाने की दिशा में अथॉरिटी ने कोई कदम नहीं उठाया है.

जीएसटी से जुड़ी इस समस्या से भी परेशान है देश के व्यापारी
जीएसटी के हालिया नियम के मुताबिक, व्यापारियों का जीएसटी पंजीकरण बिना उनकी बात सुने रद्द किया जा रहा है. व्यापारियों को न्याय का अधिकार है जिसे जीएसटी अथॉरिटी नजर अंदाज कर रही है. व्यापारियों का जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने से पहले नोटिस भी नहीं दिया जा रहा. संबंधित अधिकारियों को मनमानी अधिकार दे दिए गए. ये अधिकारी अपने शक्ति का दुरूपयोग कर व्यापारियों को आये दिन परेशान कर रहे है.

कैट ने कहा कि इस व्यवस्था से भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है. जीएसटी अथॉरिटी द्वारा जीएसटी कानून का दुरूपयोग किया जा रहा है. 1 जुलाई 2017 से 31 दिसंबर 2020 तक जीएसटी से जुड़े कुल 927 नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं. 927 में से साल 2017 में 298, 2018 में 256,2019 में 239 और साल 2020 में 137 नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं. कैट ने कहा कि इस परिस्थिति में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि व्यापारी आखिर कैसे समय पर जीएसटी का अनुपालन करेगा.

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