Home स्वास्थ्य लीवर प्रत्यारोपण से नन्हें बेटे को मिली जिन्दगी

लीवर प्रत्यारोपण से नन्हें बेटे को मिली जिन्दगी

राष्ट्रीय आरोग्य निधि से 14 लाख रूपए की मदद

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रायपुर (छ.ग.), 09-07 : इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एण्ड बिलयारी सांईस, नई दिल्ली में विगत दिनों नन्हें बच्चे का लीवर प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक किया गया, बच्चे की मां ने अपने जिगर के टुकडे को बचाने के लिए स्वयं का लीवर का टुकड़ा प्रत्यारोपण के लिए दिया, बच्चे के माता-पिता सुनीता साहू और राजपाल साहू गांव में रोजी-मजदूरी करके जीवन-यापन करते हैं, अपनी आंखों के तारे को स्वस्थ देखकर आज वे काफी प्रसन्न हैं, मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को पत्र लिखकर इस बच्चे का निःशुल्क इलाज करवाने का आग्रह किया था, श्री नड्डा के निर्देश पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बच्चे के लीवर प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि से 14 लाख रूपए (चौदह लाख रूपए) की धन राशि तत्काल मंजूर कर दी गई और यह राशि अस्पताल को दी गई। अपने जिगर के टुकडे की जिन्दगी बचाने के लिए उसकी मां श्रीमती सुनीता साहू ने अपना लीवर दिया, जिसका डॉक्टरों ने सफल प्रत्यारोपण किया। इस नन्हें बालक के माता-पिता काफी गरीबी की हालत में गांव में जीवन-यापन कर रहे थे, बच्चे को जन्म से ही लीवर की बीमारी थी। डॉक्टरों ने जब उनके बेटे के लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई तो भारी भरकम खर्च को लेकर वे काफी चिंतित हो गए। दिल्ली और लखनऊ के चक्कर लगाकर उनकी रही-सही पूंजी भी खत्म हो गई। इस बीच मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कुछ महीने पहले जब कोरिया जिले के प्रवास पर थे, तो इस गरीब माता-पिता ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए उनसे मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने संजीवनी कोष से बच्चे की प्रारंभिक डॉक्टरी जांच के लिए तत्काल एक लाख 50 हजार रूपए मंजूर कर दिए। डॉ. रमन सिंह ने बच्चे के लीवर प्रत्यारोपण में मदद के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को तुरंत चिट्ठी लिखी। साथ ही उन्होंने श्रम मंत्री और बैकुण्ठपुर के विधायक भईयालाल राजवाड़े को बच्चे के इलाज के लिए आगे की कार्रवाई पूर्ण करने की जिम्मेदारी दी, श्री राजवाड़े ने अपनी ओर से सक्रिय पहल करते हुए इस गरीब परिवार को दिल्ली में इलाज के लिए रहने की सुविधा दिलायी। डॉक्टरों के अनुसार लीवर प्रत्यारोपण के बाद बच्चे की दवाईयों आदि पर लगभग दस लाख रूपए का खर्च संभावित है, श्रम मंत्री श्री राजवाड़े ने यह खर्च अपनी ओर से वहन करने का आश्वासन दिया है। समय पर सहायता से चार वर्षीय नन्हें बच्चे आश्विन को नया जीवन मिल गया है।

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