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विश्व पृथ्वी दिवस: औद्योगीकरण के साथ पेड़ों के महत्व को भी समझना होगा

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फोटो नेट साभार कोलार्ज

नईदिल्ली/(22-4) : 22 अप्रैल, आज विश्व पृथ्वी दिवस विश्व भर में मनाया जा रहा है, सीनेटर नेल्सन की देन पृथ्वी दिवस की शुरुआत प्रदुषण मुक्त पर्यावरण युक्त विचारों के आशय से शुरू हुई, आज पूरा विश्व पृथ्वी के बढ़ते तापमान से चिंतित है, ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारणों में औद्योगीकरण, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से गैसों का उत्सर्जन, प्लास्टिक का उत्पादन,ग्रीन हाउस गैसें और मौसम चक्र में हो रहे निरंतर बदलाव से गर्मियां लंबी होती जा रही हैं, और सर्दियां छोटी। 22 अप्रैल 1970 को अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन ने इसकी शुरुआत पूरे विश्व को पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से की और यह दिन इसीलिए चुना गया कि यह समय अमेरिका में वसंत की छुट्टियों का होता है, और इस अवधि में कोई विशेष अन्य महत्वपूर्ण दिन भी उपयोगिता के आड़े नहीं आते, 1970 से दो दशकों में यह आन्दोलन पृथ्वी के हित में पूरे विश्व में फैल गया और इसे 1990 से विश्व पृथ्वी अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। इस आंदोलन में संकल्प लिया गया कि पृथ्वी को नष्ट होने से बचाया जायेगा और कोई ऐसा काम नहीं किया जायेगा, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे, इस दिवस का मकसद आम इंसान को यह समझाना है कि वो पॉलिथीन और कागज का इस्तेमाल ना करें, पौधे लगाये क्योंकि धरा है तो जीवन है, भारत में राष्ट्रीय स्तर पर स्वछता मिशन, बंच ऑफ़ फूल जैसी कई संस्थाएं पर्यावरण को बेहतर बनाने में कार्य कर रही है, औद्योगीकरण और व्यापार कर रहे व्यवसायियों को भी स्वयं पर्यावरण सुरक्षा की जिम्मेवारी लेना चाहिए, पेड़ लगाकर आने वाली पीढ़ी को पृथ्वी संरक्षण पर जागरूक करना चाहिए । मीडिया में प्राप्त ख़बरों के अनुसार भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस अवसर पर पृथ्वी को भविष्य की पीढिय़ों को बेहतर ग्रह बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, प्रधानमंत्री ने विचार व्यक्त किये हैं कि जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए लोगों को एक साथ काम करना होगा, यह हमारी माँ धरा के लिए एक बड़ी श्रद्धांजलि होगी, आधिकारिक बयान में प्रधानमंत्री ने उन सभी व्यक्तियों और संगठनों को बधाई दी है, जो प्रकृति के साथ स्वछता को बढ़ावा देने और सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे थे।

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