जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के अस्तित्व में आने के 54 वर्षों बाद पहली बार इसमें संशोधन होने की संभावना है. दरअसल, केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया जो स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने और सरकारी नौकरी में नियुक्ति के लिए एकल दस्तावेज के रूप में जन्म प्रमाण पत्र के इस्तेमाल की अनुमति देता है.
प्रस्तावित संशोधन मतदाता सूची तैयार करने, आधार नंबर जारी करने और विवाह के पंजीकरण के लिए जन्म प्रमाण पत्र के उपयोग की भी अनुमति देते हैं, जबकि आलोचकों ने पहले ही गोपनीयता संबंधी चिंताओं, राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन और सरकार को लोगों के बारे में बेलगाम डेटा देने का दावा करते हुए सरकार की इस योजना का विरोध किया है.
डेक्कन हेराल्ड वेबसाइट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने एवं इसे अधिक नागरिक अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों, जनता और अन्य हितधारकों के साथ इस बारे में परामर्श किया गया है.
हालांकि, वरिष्ठ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक निजता और शक्ति के पृथक्करण के अधिकार का उल्लंघन करता है और अत्यधिक प्रत्यायोजन (किसी उच्च अधिकारी द्वारा अधीनस्थ अधिकारी को विशिष्ट सत्ता एवं अधिकार प्रदान करना) की बीमारी से ग्रस्त है.
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के कथन के अनुसार, संशोधन किसी व्यक्ति के जन्म की तारीख और स्थान को साबित करने के लिए एकल दस्तावेज के रूप में जन्म प्रमाण पत्र के उपयोग का प्रावधान करता है, जिसका जन्म संशोधन की शुरुआत की तारीख के बाद या उसके बाद हुआ हो.