तीन साल तक बंद रखने के बाद, चीन सरकार ने कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा के लिए नेपाल-चीन सीमा पर कई बिंदुओं को फिर से खोल दिया है. हालांकि, नेपाल की मीडिया ने बताया है कि नए प्रतिबंधों, पर्यटकों और टूर ऑपरेटरों दोनों के लिए यात्रा परमिट की उच्च लागत तीर्थयात्रियों को कैलाश मानसरोवर जाने से हतोत्साहित करेगी. द काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की ओर से घोषित वीजा की नई लागत ने नेपाल टूर ऑपरेटरों को आश्चर्यचकित कर दिया है, क्योंकि 2016 में नेपाल ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश में प्रवेश करने वाले चीनी नागरिकों के लिए वीजा शुल्क माफ कर दिया था.
नेपाल में टूर ऑपरेटरों ने चीनी सरकार पर जटिल नियम लागू करने का आरोप लगाया, जो कथित रूप से कैलाश मानसरोवर यात्रा से विदेशी तीर्थयात्रियों, विशेष रूप से भारतीय तीर्थ यात्रियों को दूर रखने के लिए डिजाइन किए गए हैं. शीर्ष टूर ऑपरेटरों ने नेपाल में चीनी राजदूत चेन सॉन्ग को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें नए नियमों के कारण होने वाली परेशानियों के बारे में बताया गया है. नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर एंड ट्रैवल एजेंट्स, ट्रेकिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ नेपाल और एसोसिएशन ऑफ कैलाश टूर ऑपरेटर्स नेपाल ने तीर्थयात्रियों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए राजदूत के माध्यम से चीनी सरकार से आग्रह किया है
ज्ञापन में कहा गया है, ‘चीन द्वारा भारतीयों के लिए निर्धारित वीजा शुल्क तीसरे देशों के पर्यटकों के लिए निर्धारित शुल्क से अधिक है.’ एक और मुद्दा जिसका भारतीय तीर्थ यात्रियों को सामना करना पड़ेगा वह तिब्बत के लिए वीजा प्राप्त करने के लिए एक ऑनलाइन मंच की अनुपलब्धता है. वीजा प्राप्त करने का एकमात्र तरीका दिल्ली में चीन का दूतावास कार्यालय है. वह भी वीजा मांगने वाले व्यक्ति को, साक्षात्कार के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ेगा. इसके अलावा, वीजा के लिए आवेदन करते समय बायोमेट्रिक डेटा जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है. इसका मतलब है कि चीनी अधिकारियों को उन भारतीय तीर्थ यात्रियों के बायोमेट्रिक डेटा तक पहुंच प्राप्त होगी जो कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना चाहते हैं.
घास खराब होने के नाम पर चीन तीर्थ यात्रियों से वसूलेगा 24000 रुपए
नियमों के मुताबिक वीजा हासिल करने के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों को कम से कम पांच लोगों के समूह में होना जरूरी है. उनमें से कम से कम चार को वीजा साक्षात्कार के लिए शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ेगा. इस तरह के नियमों के पीछे कोई तर्क नहीं है, क्योंकि टूर ऑपरेटरों ने इसे चीनी सरकार की अव्यावहारिक मांग बताया है. चीन ने तीर्थयात्रियों, टूर ऑपरेटरों और नेपाली श्रमिकों के लिए तीर्थ यात्रा में शामिल लागत में भी वृद्धि की है. नेपाली श्रमिकों के लिए ‘घास क्षति शुल्क’ (Grass Damage Charge) 15 दिनों के प्रवास के लिए प्रति व्यक्ति 100 अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 300 अमरीकी डॉलर (24000 रुपए) प्रति व्यक्ति कर दिया गया है.