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कोविड संक्रमण से बचने में बूस्टर डोज कितना कारगर, बढ़ते कोरोना केस से कितना खतरा? जानें CSIR के पूर्व चीफ ने क्या-क्या कहा

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प्रमुख जीवविज्ञानी शेखर मांडे (biologist Shekhar Mande) ने कहा कि कमजोर वैज्ञानिक सबूतों के कारण कोविड-19 (Covid-19) की नई लहर को रोकने के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने से बहुत मदद नहीं मिल सकती है. मांडे ने News18 को बताया कि बूस्टर के फायदे को लेकर वैज्ञानिक सबूत कमजोर हैं. काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (Council of Scientific and Industrial Research-CSIR) के पूर्व महानिदेशक के मुताबिक कमजोर इम्यूनिटी या दूसरे रोगों के मरीजों को मार्गदर्शन के लिए अपने डॉक्टरों से सलाह-मशविरा करना चाहिए. इस समय सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के जैव सूचना विज्ञान केंद्र में प्रोफेसर के पद पर तैनात मांडे ने कहा कि कोविड मामलों में ताजा उछाल एक नए वेरिएंट के कारण आया है.

प्रोफेसर मांडे ने कहा कि हमारी प्रतिरक्षा कम हो सकती है, या यह एक वैक्सीन ब्रेकथ्रू म्यूटेंट हो सकता है. लेकिन फिर भी हम कोरोना वायरस (coronavirus) महामारी की पिछली लहरों की तरह अस्पतालों में मरीजों की भारी भर्ती या मौतें नहीं देखेंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना मामलों का ये ताजा उछाल पहली या विनाशकारी दूसरी डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की लहर की तरह नहीं होने वाला है. बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) से आणविक जैवभौतिकी (molecular biophysics) में पीएचडी करने वाले मांडे ने कहा कि सामान्य सावधानियां पहले की तरह ही हैं.

घरों में ताजा हवा सबसे बड़ी दवा
मांडे ने कहा कि वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने के बावजूद सभी को मास्क का उपयोग करके, सामाजिक दूरी, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचाव और घरों के अंदर सही वेंटिलेशन बनाए रखना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि आज तक का सबसे मजबूत सबूत इमारतों के भीतर बेहतर वेंटिलेशन से जुड़ा है. अगर घरों के अंदर पर्याप्त ताजी हवा को बनाए रखा जाता है, तो वायरस से संक्रमित होने की संभावना नाटकीय रूप से घट जाती है.

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