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Explainer : उत्तर भारत में कई जगह गिरे ओले, क्यों बनते हैं और गिरते हैं

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उत्तर भारत में दिल्ली समेत कई जगहों पर ओले गिरे हैं या फिर गिरने की संभावना है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और एनसीआर में दोपहर हुई बारिश ने मौसम का रुख ही बदल दिया. यहां ओले गिरे और आधे घंटे से ज्यादा गिरते रहे. क्या आपको मालूम है आसमान से बारिश के साथ ये बर्फ के छोटे छोटे टुकड़े क्यों गिरने लगते हैं. इसके आसमान में बनने और गिरने की वजह कुछ तो होती ही होगी.

आमतौर पर सालभर में ओलों की बारिश तीन से चार या अधिक बार देखने को मिल ही जाती है. हालांकि ये अक्सर कृषि के लिए आफत बन जाती है. तैयार फसलों को बर्बाद कर देती है. अगर मौसम के बदलाव के तौर पर देखें तो ये तापमान को गिराने वाली साबित होती है. अक्सर लोग तब हैरान रह जाते हैं जबकि मौसम गर्मी का होता है और आसमान से ओले गिरने शुरू हो जाते हैं.

आइए जानते हैं कि क्या होती है इसकी वजह. जब नदियों और समुद्र से पानी भाप बनकर ऊपर उठता है, तो नियमित प्रक्रिया में ये बादल बनाते हैं. ये बादल ही जब सघन होने लगते हैं तो बारिश के तौर पर पानी बरसाना शुरू करते हैं. हालांकि काफी हद तक बारिश हवा की गति, दबाव और तापमान पर भी निर्भर करती है.

आप जैसे जैसे आसमान पर ऊपर जाते हैं, वहां का तापमान कम होता जाता है. 03 किलोमीटर ऊपर आसमान का तापमान शून्य या उससे कम होने लगता है, तब वहां पहुंचने वाले बादल या पानी की छोटी छोटी बूंदें जमने लगती हैं. जब छोटे छोटे बर्फ के बिंदुओं में रूपांतरिक होती हैं तो इनके संपर्क में आने वाला और पानी भी बर्फ बनने लगता है. इनका आकार गोल हो जाता है.

जैसे ही इन गोल टुकड़ों का वजन ज्यादा होता है तो ये नीचे गिरने लगते हैं. हालांकि नीचे गिरने वाले ओले जब आसमान में ऊपर होते हैं तो इनका आकार और बड़ा होता है लेकिन नीचे नीचे आते आते ये छोटे छोटे होते जाते हैं. लेकिन कई बार ओलों में काफी बड़े टुकड़े भी गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं. 23 जुलाई 2010 अमेरिका के साउथ डोकोटा में जो ओलावृष्टि हुई वो तो भयावह थी. इसमें 7.87 यानि 20 सेंटीमीटर मोटाई वाले ओले के टुकड़े गिरे, जिनका वजन एक किलो से कुछ ही कम था. अंग्रेजी में इन्हें हेल स्टॉर्म (Hail Storm) कहा जाता है.

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