उच्चतम न्यायालय ने पहली बार, मंगलवार से अपनी सुनवाई के प्रायोगिक आधार पर सजीव प्रतिलेखन (लाइव ट्रांसक्रिप्शन) के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग शुरू किया. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ के कोर्टरूम में लाइव ट्रांसक्रिप्शन लॉन्च किया गया है.
पहल की घोषणा करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हम देखेंगे कि यह विशेष रूप से संविधान पीठ के मामलों में कैसे काम करता है क्योंकि तब हमारे पास तर्कों का एक स्थायी रिकॉर्ड होगा.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह न्यायाधीशों और वकीलों की मदद करता है, लेकिन यह हमारे लॉ कॉलेजों की भी मदद करेगा. वे विश्लेषण कर सकते हैं कि मामलों पर कैसे बहस की जाती है. यह एक बहुत बड़ा संसाधन है.’
मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि यह एक नियम बनने से पहले ट्रांसक्रिप्शन में कमी को दूर करने के लिए एक या दो दिनों के लिए प्रायोगिक आधार पर किया जाएगा. मंगलवार को सुनवाई की शुरुआत में, सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, ‘क्या आप स्क्रीन देखते हैं? हम केवल लाइव ट्रांसक्रिप्ट की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ फिलहाल शिवसेना में दरार से जुड़े मुद्दों पर विचार कर रही है. संविधान पीठ की कार्यवाही का प्रतिलेखन किया जाएगा और शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड करने से पहले अधिवक्ताओं को पुनरीक्षण के लिए दिया जाएगा.