कई वर्षों तक नौकरशाह के रूप में काम करने वाले विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) ने अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि जब उन्हें विदेश मंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया तो यह उनके लिए किसी भी कल्पना से परे था. जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव के पद पर कार्य करने वाले जयशंकर ने न्यूज़ एजेंसी से बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Call) का फोन आया था जिन्होंने उन्हें आमंत्रित करते हुए कहा था कि वह भी कैबिनेट (Cabinet) का हिस्सा हैं. अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि वह खुद इस जिम्मेदारी को लेकर बहुत अनिश्चित थे.
विदेश मंत्री ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में राजनेताओं को देखा था. जयशंकर ने कहा “विदेश सेवा में आपको जो चीजें करने को मिलती हैं, उनमें से एक यह है कि आप वास्तव में अन्य सेवाओं की तुलना में बहुत अधिक हैं, आप राजनेताओं को करीब से देखते हैं क्योंकि आप उन्हें विदेश में देखते हैं, आप उनके साथ निकटता से काम कर रहे हैं, उन्हें सलाह दे रहे हैं. इसलिए, यह देखना एक बात है लेकिन वास्तव में राजनीति में शामिल होना, कैबिनेट सदस्य बनना, राज्यसभा के लिए खड़ा होना, आप जानते हैं कि जब मुझे चुना गया था, तब मैं संसद का सदस्य भी नहीं था. तो इनमें से प्रत्येक घटना एक के बाद एक घटित हुई.”
जयशंकर ने यह भी कहा कि उनके पिता डॉ के सुब्रह्मण्यम को 1980 में सत्ता में वापस आने के तुरंत बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) द्वारा सचिव, रक्षा उत्पादन के पद से हटा दिया गया था और राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) काल के दौरान भी उन्हें हटा दिया गया था, उनके साथ किसी जूनियर को कैबिनेट सचिव बनाया गया था. एक विदेश सेवा अधिकारी और एक मंत्री और एक राजनेता के रूप में काम करने के बीच के अंतर को उजागर करते हुए, जयशंकर ने कहा कि हर बड़े मुद्दे का कोई न कोई राजनीतिक पहलू होता है, जिसे एक मंत्री एक नौकरशाह की तुलना में बहुत तेजी से देखता है.