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अशुभ संकेतों से शेयर बाजार धड़ाम, निवेशकों के पोर्टफोलियो लाल, मंदी की बात में कितना दम

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केंद्रीय बजट (Budget 2023) से पहले भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में शुक्रवार को भारी बिकवाली बिकवाली देखने का मिली और सेंसेक्स और निफ्टी 3 महीने के निचले स्तर पर बंद हुए. दो कारोबारी सत्रों में ही निवेशकों को 10 लाख करोड़ रुपये के करीब नुकसान उठाना पड़ा है. बाजार जानकारों का कहना है कि वैश्विक मंदी की आशंकाओं (Global Recession Fear) से निवेशक सहमे हुए हैं. सितंबर तिमाही के मुकाबले दिसंबर तिमाही में अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर (America growth rate) गिरने से मंदी की आशंका को बल मिला है. विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से धड़ाधड़ पैसा निकाल रहे हैं. बड़ी कंपनियों द्वारा लगातार कर्मचारियों की जा रही छंटनी (Layoffs) से भी निवेशकों हौसला डगमगाया है.

16 जनवरी को ही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने मुख्य अर्थशास्त्री पूर्वानुमान सर्वेक्षण में कहा था कि 2023 में वैश्विक मंदी आने की आशंका है. लगभग दो-तिहाई मुख्य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2023 में वैश्विक मंदी आने की आशंका है. इनमें से 18% ने इसकी अत्यधिक संभावना जताई. यह आंकड़ा सितंबर 2022 में किए गए पिछले सर्वेक्षण की तुलना में दोगुने से भी अधिक है.

आज यानी शुक्रवार को सप्‍ताह के आखिरी कारोबरी दिन सेंसेक्स (Sensex) 874.16 अंक यानी 1.45 फीसदी की गिरावट के साथ 59,330.90 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी (Nifty) 287.70 अंक यानी 1.61 फीसदी की गिरावट के साथ 17,604.30 के स्तर पर बंद हुआ. सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन में सभी सेक्टर्स में बिकवाली हावी है, लेकिन सबसे ज्यादा पिटाई बैंकिंग शेयरों की हुई है. एनर्जी सेक्टर भी 5 फीसदी से ज्यादा टूट गया है. मेटल इंडेक्‍स में 4 फीसदी गिरावट है. आईटी, रियल्‍टी और फार्मा इंडेक्‍स भी लाल निशान में बंद हुए हैं.

3 फीसदी गिरा सेंसेक्‍स
नए साल की शुरुआत से अब तक बीएसई सेंसेक्‍स 3 फीसदी गिर चुका है. 2 जनवरी 2023 को सेंसेक्स 61,167.79 पर बंद हुआ था. वहीं, आज सेंसेक्‍स ने 59,330.90 के स्तर पर क्‍लोजिंग दी है. हालांकि, पिछले 6 महीनों में सेंसेक्‍स 4.35 फीसदी चढ़ा है. भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता नहीं आ पा रही है और यह हिचकोले खा रहा है. बाजार जानकारों का कहना है कि कुछ ग्‍लोबल फैक्‍टर्स भारतीय बाजार की तेजी में रोड़ा बने हुए हैं. इनमें कई विकसित देशों की सुस्‍त आर्थिक गतिविधियां और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्‍याज दरों में वृद्धि जारी रखना भी शामिल है.

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