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नवजात शिशु को 6 सप्ताह तक नेवरापिन सीरप के बाद दिया जाए, सी.पी.टी सीरप।

राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा ‘आना’ परियोजना की प्रगति समीक्षा बैठक में कहा गया।

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रायपुर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति के जिला स्तरीय नोडल अधिकारियों की बैठक लेकर योजना के तहत संचालित “आना” परियोजना की प्रगति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई, बैठक में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं श्रीमती रानू साहू ने कहा कि प्रत्येक गर्भवती माताओं की एच.आई.वी जांच अवश्य कराया जाए, उन्होंने गर्भवती माताओं के एच.आई.वी पॉजीटिव पाए जाने पर ए.आर.टी केन्द्र से लिंक करते हुए दवाई देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संस्थागत प्रसव उपरांत 26 सप्ताह तक के बच्चों का नियमित फॉलोअप किया जाए, तभी बच्चा एच.आई.वी निगेटिव आयेगा। श्रीमती साहू ने बताया कि प्रदेश में सालभर में लगभग छह लाख प्रसव होना संभावित है, अतः शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की एच.आई.वी जांच किए जाने का प्रयास किया जाए, श्रीमती साहू ने आगामी माह के एक दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाए जाने की तैयारियों की भी समीक्षा की, उन्होंने व्यापक प्रचार-प्रसार कर जनजागरूकता लाने के दिशा में कार्य करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर में मंगलवार व शुक्रवार को ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर एएनएम के माध्यम से एचआईवी जांच किए जाने की तैयारी है, साथ ही साथ ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर कार्य संपादित किए जाएंगे। श्रीमती साहू ने कहा कि उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक एचआईवी किट को निर्धारित तापमान में रखा जाये। यदि सी.जी.एम.एस.सी जिला व ब्लॉक में एच.आई.वी किट भेजता है, उसे उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक भेजने की जिम्मेदारी संबंधित जिले के नोडल अधिकारी की है। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में एचआईवी किट का खपत, उपयोग, बचत आदि की जानकारी रखें। उन्होंने जिला नोडल अधिकारियों को ब्लॉकवार इस कार्यक्रम की समीक्षा करने के निर्देश के भी दिये हैं, गर्भवती माता यदि एचआईवी संक्रमित पाई जाती हैं, तो उसका नियमित फॉलोअप करते हुए उसकी जानकारी रखें। गर्भवती माताओं की एच.आई.वी टेस्टिंग के प्रथम तिमाही में ही करना सुनिश्चित किये जाये। एचआईवी संक्रमित जांच में रियेक्टिव आने पर नजदीक के जिला अस्पताल स्थित एकीकृत परामर्श एवं जांच केन्द्र में उक्त गर्भवती माता का तत्काल कंफरमेटिव टेस्ट किये जायें। कंफरमेटिव टेस्ट में पॉजीटिव आने पर तत्काल नजदीक के जिला अस्पताल स्थित एआरटी या लिंक एआरटी में दवा दिलवाना सुनिश्चित करें। श्रीमती साहू ने कहा कि पॉजीटिव महिला का एआरटी दवा सेवन करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर एचआईवी संक्रमण का असर कम हो सकता है। पॉजीटिव महिला के संस्थागत प्रसव के तुरंत बाद शिशु को नेवरापिन सिरप शिशु के वजन के अनुसार 6 सप्ताह तक दिया जाए। नवजात शिशु को दो माह के अंदर नजदीक के आईसीटीसी केन्द्र में डीबीएस जांच और नवजात शिशु को नेवरापिन सिरप 6 सप्ताह तक पिलाने के बाद उसे सीपीटी सिरप दिया जाये, ताकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे, बच्चे को 18 महीने होने पर एच.आई.वी का कंफरमेशन टेस्ट कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

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