नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि देश को हासिल हुई है और वह है आयुष. आयुर्वेद सहित भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों जिनमें होम्योपैथी, यूनानी, सिद्धा और प्राकृतिक चिकित्सा शामिल हैं, इन्हें महज कुछ ही सालों में ग्लोबल स्तर पर पहुंचाने में मोदी सरकार ने अहम योगदान दिया है. वहीं देश के अंदर आज आयुष का एक विशेष इन्फ्रास्ट्रक्चर भी तैयार हो चुका है. दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान आज उच्च श्रेणी के आयुर्वेद संस्थान में शामिल हो चुका है और आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार नए-नए प्रयोग भी कर रहा है. गांव-गांव तक आयुर्वेद का लाभ पहुंच रहा है अब आयुर्वेद की पंचकर्म पद्धति से ग्रामीणों को रोजगार देने की दिशा में मोदी सरकार एक और बड़ा काम करने जा रही है.
पीएम मोदी की हील इन इंडिया पहल पहुंच रही गांवों तक
हाल ही में डब्ल्यूएचओ के इस साल को इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स के मौर पर मनाने की घोषणा के बाद एआईआईए में शुरू की गई पथ्याहार कैंटीन के मौके पर शामिल हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने पंचकर्म पद्धति को गांव-गांव तक पहुंचाने की पहल शुरू करने के लिए कहा है. एआईआईए में मौजूद रहे मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि उनका मंत्रालय जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आयुर्वेद में प्रयोग की जाने वाली पंचकर्मा पद्धति के लिए प्रशिक्षित करेगा ताकि आयुर्वेद से ग्रामीण रोज़गार के अवसर उपलब्ध हों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हील इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत आयुर्वेद के लाभ जनमानस तक पहुंच सके.
ग्रामीणों को देने जो रहे रोजगार
मोदी सरकार पथ्याहार और आयुर्वेद पंचकर्म पद्धति को गांवों में प्रमोट करने जा रही है. आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति से ग्रामीणों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. यह एक सराहनीय पहल साबित होने जा रही है. हालांकि अभी भी मिलेट्स के उत्पादन में ग्रामीण दिलचस्पी ले रहे हैं और देश के आयुर्वेद संस्थानों में भारत में उत्पादित मिलेट्स की आपूर्ति भी की जा रही है.
थाली से गायब हुए अनाज फिर होंगे खानपान में शामिल
मोदी सरकार के प्रयास और नीतियां ही हैं कि गेहूं और चावल के उत्पादन और बढ़ते उपयोग के चलते देश में पैदा होने वाले मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, दालें, तिल, रागी, समां के चावल आदि का इस्तेमाल सामान्य लोगों के भोजन में घट गया था. हालांकि मोदी सरकार के प्रयासों के बाद अब आयुर्वेद संस्थान तक इसे अपनाते हुए लोगों को वापस इन पर लौटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. साथ ही लोग भी इसे अब खान-पान में शामिल कर रहे हैं. न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से बल्कि उपलब्धता के लिहाज से भी ये अनाज या मिलेट्स काफी उपयोगी हैं.