रक्षा मंत्रालय ने चीन और उसके सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए शनिवार को कहा कि भारतीय सेना सैन्य आधुनिकीकरण और भारत के विरोधियों की आक्रामक कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप सभी तरह के सैन्य हालात से निपटने के लिए तैयार है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि सेना मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरते खतरों की लगातार निगरानी और समीक्षा करते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर स्थिरता और प्रभुत्व सुनिश्चित करने की भारत की इच्छा के अनुरूप अपनी अभियानगत तैयारियों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
रक्षा मंत्रालय ने साल के अंत में समीक्षा में इसका जिक्र किया है। एलओसी (पाकिस्तान के साथ) की स्थिति का उल्लेखकरते हुए, मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल फरवरी से भारतीय और पाकिस्तानी दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष विराम की सहमति के साथ स्थिति अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रही है. मंत्रालय ने कहा, ‘2020 में संघर्ष विराम उल्लंघन की 4645 घटनाओं की तुलना में, फरवरी 2021 में हुए समझौते के बाद से केवल तीन छोटी घटनाएं दर्ज की गई हैं, 2022 में केवल एक घटना हुई.’
पाकिस्तान ने ‘नार्को-टेरर’ गठजोड़ का फायदा उठाना जारी रखा है
मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान ने ‘छद्म युद्ध के ढांचे’ को बरकरार रखा है और आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों की सक्रियता, आतंकी ठिकाने में आतंकवादियों की मौजूदगी और लगातार घुसपैठ के प्रयास उस देश की ‘मंशा’ को साबित करते हैं. मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ‘नार्को-टेरर’ गठजोड़ का फायदा उठाना जारी रखे हुए है और बेकसूर युवाओं के हाथ में हथियार और ग्रेनेड थमाकर कमजोर नागरिकों को निशाना बनाने के लिए प्रेरित करता है.
सेना ने बनाए रखा है हाई ट्रेनिंग स्टैंडर्ड
सेना पर अपने संक्षिप्त विवरण में मंत्रालय ने कहा कि यह मुख्य रूप से ‘एलएसी, एलओसी पर स्थिरता और प्रभुत्व’ सुनिश्चित करने की भारत की इच्छा के अनुरूप अपनी अभियानगत तैयारियों को बनाए रखने पर केंद्रित है. मंत्रालय ने कहा है कि सेना ने लगातार उग्रवाद-विरोधी और आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम दिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरते तथा भविष्य के खतरों की लगातार निगरानी एवं समीक्षा करते हुए उच्च प्रशिक्षण मानकों को बनाए रखा है.
चीन-पाकिस्तान से मिलने वाली चुनौतियों पर चिंता जाहिर की गई
मंत्रालय ने कहा, ‘भारतीय सेना सैन्य आधुनिकीकरण और देश के विरोधियों द्वारा आक्रामक कार्रवाइयों के गठजोड़ के खतरे से उत्पन्न होने वाले सभी तरह के सैन्य हालात से निपटने के लिए तैयार रहती है, जबकि भौतिक सीमाएं धुंधली होने के कारण साइबर, अंतरिक्ष और सूचना क्षेत्र में उभरते खतरों से निपटने के लिए क्षमता का निर्माण किया है.’ सैन्य प्रतिष्ठान में चीन और पाकिस्तान के ‘मिलीभगत के खतरे’ से उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की गई है.
सेना के लिए आईबीजी-मॉडल
सेना में सुधारों पर, मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सेना के सभी स्वरूपों को एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी) मॉडल पर चरणबद्ध तरीके से तैयार किया जाएगा ताकि बल को चुस्त-दुरुस्त सेना में बदल दिया जा सके. मंत्रालय ने कहा है, ‘आईबीजी-मॉडल अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है और चरण एक पूरा होने के करीब है.’ आईबीजी पहल के तहत, सेना का लक्ष्य बल के विभिन्न घटकों को नए गठन में एकीकृत करना है जिसमें तोपखाने की बंदूकें, टैंक, वायु रक्षा और रसद तत्व शामिल होंगे.
9 दिसंबर को तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों में झड़प
चीन के साथ लगी सीमा पर हालात को लेकर मंत्रालय ने कहा कि चीनी पीएलए सैनिकों ने 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने और यथास्थिति बदलने की कोशिश की. इस घटना पर संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उन्होंने सूचित किया कि भारतीय सैनिकों ने ‘दृढ़ और मजबूत तरीके’ से चीनी प्रयास का जवाब दिया. पूर्वी लद्दाख विवाद का उल्लेख करते हुए, मंत्रालय ने कहा कि क्षेत्र में बचे हुए गतिरोध वाले स्थलों पर तनाव कम करने के लिए बैठक को लेकर बातचीत निर्धारित की जा रही है.