महंगाई से राहत के बीच फिर मुश्किलें बढ़ाने वाली खबर है, क्योंकि भारत के मार्केट में पॉम तेल और सोने-चांदी की कीमतों में जल्द उछाल आ सकता है. ग्लोबल मार्केट में लगातार बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने सोने-चांदी, कच्चे पॉम तेल (CPO) और सोया तेल पर बेस इंपोर्ट प्राइस बढ़ा दिया है. इससे डोमेस्टिक मार्केट में इनकी कीमतों पर भी दबाव दिखेगा.
सरकार हर पखवाड़े खाने के तेलों, सोने और चांदी के बेस इंपोर्ट प्राइस में बदलाव करती है. इन कीमतों को आयातकों से वसूले जाने वाले टैक्स की गणना में इस्तेमाल किया जाता है. भारत खाद्य तेलों और चांदी का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक और सोने का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है.
नया बेस प्राइस
कच्चे पॉम तेल का बेस इंपोर्ट प्राइस 977 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है, जबकि पहले यह 971 डॉलर था. आरबीडी पॉम ऑयल का बेस इंपोर्ट प्राइस 977 डॉलर से बढ़ाकर 979 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है. वहीं, आरबीडी पॉमोलीन (RBD Palmolein) का बेस इंपोर्ट प्राइस 993 डॉलर से घटाकर 988 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है. वहीं, क्रूड सोया तोल का बेस प्राइस 1,360 डॉलर से घटाकर 1,275 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है. सोने का बेस इंपोर्ट प्राइस 565 डॉलर से बढ़ाकर 588 डॉलर प्रति 10 ग्राम और चांदी का बेस इंपोर्ट प्राइस 699 डॉलर से बढ़ाकर 771 डॉलर प्रति किग्रा कर दिया गया है.
क्या होता है बेस इंपोर्ट प्राइस
ग्लोबल मार्केट में पॉम तेल और सोने-चांदी की कीमतों में ज्यादा उछाल आने पर भारतीय आयातकों पर भी दबाव बढ़ता है. सरकार घरेलू बाजार में कीमतों को ग्लोबल मार्केट के अनुरूप बनाए रखने के लिए हर पखवाड़े (15 दिन में) बेस इंपोर्ट प्राइस की समीक्षा करती है. बेस इंपोर्ट प्राइस वह दर होती है, जिसके आधार पर सरकार कारोबारियों से आयात शुल्क और टैक्स वसूलती है. भारत सोने के मामले में दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है, जबकि चांदी के मामले में पहले स्थान पर आता है. खाद्य तेलों की भी 60 फीसदी से ज्यादा जरूरत आयात के जरिए पूरी की जाती है.