देश की जमीन को चीन के कब्जे से बचाने के लिए भारतीय सेना ने नया प्लान बनाया है. सेना अब उन इलाकों तक टूरिज्म का विकास कर रही है, जहां अभी तक कोई आम नागरिक पहुंच नहीं पाता था. दरअसल, इन इलाकों को सेना ने टूरिज्म स्पॉट बना दिया है. सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब सिक्किम से लेकर अरुणाचल के पूर्वी छोर तक एक बड़ा एडवेंचर टूरिज्म अभियान चलाया.
सेना के अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन महीने में कई टूरिज्म कैंपने चलाए गए. इन अभियानों में 16500 फीट की ऊंचाई पर 6 माउंट क्लाइंबिंग, 700 किलोमीटर के 7 ट्रैकिंग अभियान, 6 घाटियों में 1000 किलोमीटर से ज्यादा 6 साइकिलिंग अभियान और 3 नदियों में 132 किलोमीटर के 3 वॉटर राफ्टिंग अभियान शामिल थे. सेना के मुताबिक, इन अभियानों के लिए सेना ने एलएसी के पास के 11 पॉइंट को चुना. इसमें सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट में से एक था सिक्किम के भारत-नेपाल- तिब्बत ट्राई जंक्शन स्थित माउंट जोंसोंग का शिखर तक पहुंचना.
सरकार पहले भी आयोजित कर चुकी अभियान
अब तक के इतिहास में यह तीसरी बार है जब कोई माउंटेन क्लाइंबिंग कैंपेन आयोजित किया गया हो. सिविल-मिलट्री सहयोग से इस तरह के आयोजन का मकसद पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देना है. जितने ज्यादा लोग इन आयोजनों में शामिल होंगे उतना ही बॉर्डर के आसपास के इलाके विकसित होंगे. ऐसा नहीं है कि सरकार, सेना और स्थानीय प्रशासन ने एलएसी पर एडवेंचर अभियान पहली बार आयोजित हुए हों, इससे पहले साल 2018 में गृह मंत्रालय ने लद्दाख में 5 नए रूट को पर्यटन और 4 ट्रेल ट्रैकिंग के लिए खोला था. साल 2019 में रक्षा मंत्रालय ने दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन को पर्यटकों के लिए खोल दिया था. इससे पहले भारतीय सेना के अलावा इस जगह जाने की मंजूरी किसी को नहीं थी. टूरिस्ट अब बेस कैंप से कुमार पोस्ट तक आसानी से जा सकते हैं.
चीन ठोकता रहा है अपना दावा
सेना के अधिकारियों ने बताया कि चीन भारतीय इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है. यह सिलसिला 60 के दशक से चला आ रहा है. इसी के चलते 1962 में दोनों देशों के बीच जंग भी हो चुकी है. अरुणाचल को तो वो अपना ही हिस्सा बताता है. चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने 30 दिसंबर 2021 में चीन के नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नाम दे दिए. उसने यह हरकत उस वक्त की थी, जब 1 जनवरी 2022 से चीन में नया बॉर्डर कानून लागू किया जाना था.