विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 के लिए भारत के जीडीपी अनुमान को रिवाइज करते हुए उसे बढ़ा दिया है. विश्व बैंक ने 2022-23 के लिए भारत के वृद्धि दर के अपने अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है. बैंक ने कहा है कि अमेरिका, यूरो क्षेत्र और चीन के घटनाक्रमों से भारत प्रभावित हुआ है. इसके अलावा विश्व बैंक का कहना है कि भारत सरकार 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की ओर है. वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया है कि जारी वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 7.1 फीसदी रहेगी. गौरतलब है कि ये आरबीआई के संतोषजनक दायरे से काफी ऊपर है.
विश्व बैंक ने पिछले साल अक्टूबर में रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक स्तर पर सख्त होती मौद्रिक नीतियों के कारण भारत की विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी किया था. जबकि इससे पहले का अनुमान 7.1 फीसदी था. अब एक बार दोबारा से विश्व बैंक ने इसमें बदलाव करते हुए इसे बढ़ा दिया है.
भारत पहले से अधिक क्षमतावान
विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा है कि आज का भारत 10 साल पहले के भारत से कहीं अधिक क्षमतावान है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में जो भी कदम उठाए गए वह आज विपरीत वैश्विक परिस्थितियों में भारत की मदद कर रहे हैं. विश्व बैंक के एक अन्य अधिकारी अगस्ते तानो काउमे ने कहा है, “भारत बहुत महत्वाकांक्षी है. सरकार ने अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं और अब वह इसे तेज-तर्रार बनाने के लिए काफी प्रयास कर रही है.”
आरबीआई का अनुमान
देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष में 7 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ेगी. पहले आरबीआई का अनुमान 7.2 फीसदी था जिसे बैंक ने घटाकर कम कर दिया. बता दें कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भारती की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रही थी. जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 8.4 फीसदी थी. गौरतलब है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने भी सितंबर तिमाही में 6.3 फीसदी की विकास दर का ही अनुमान लगाया था. इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की विकास दर 13.5 फीसदी थी.