केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति से जुड़ी 20 नामों की फाइल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को वापस लौटा दिया है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि सरकार ने 25 नवंबर को कॉलेजियम को फाइलें वापस भेजते हुए अनुशंसित नामों के बारे में ‘कड़ी आपत्ति’ जाहिर की. इस लिस्ट में 9 नाम ऐसे थे जिनकी कॉलेजियम ने दोबारा सिफारिश की थी. जबकि 11 ऐसे नाम हैं जिनकी पहली बार सिफारिश की गई. इस लिस्ट में वकील सौरभ किरपाल का नाम भी शामिल है.
पूर्व सीजेआई बीएन किरपाल के पुत्र वकील सौरभ किरपाल अपनी समलैंगिक स्थिति के बारे में खुलकर बात कर चुके हैं. भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सौरब किरपाल के नाम की सिफारिश दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए की थी. किरपाल का नाम दिल्ली उच्च न्यायालय कॉलेजियम ने अक्टूबर 2017 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए कॉलेजियम को भेजा था. बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनके नाम पर विचार-विमर्श को तीन बार टाला था. जस्टिस रमना के पूर्ववर्ती तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे ने कथित तौर पर सरकार से किरपाल के बारे में और जानकारी भेजने को कहा था. आखिरकार जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने नवंबर 2021 में किरपाल के पक्ष में फैसला लिया
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में नई नियुक्तियों से संबंधित उन सभी नामों को वापस कर दिया है, जिन पर उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के साथ उसके ‘मतभेद’ थे. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम से भेजे गए नामों को मंजूरी देने में केंद्र सरकार की देरी पर नाराजगी जताई. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने एक समय सीमा तय की थी, जिसके भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जानी थी.