दीपावली को एक महीना गुजर जाने के बाद भी मच्छरों से छुटकारा नहीं मिला है, उल्टा अन्य वर्षों के मुकाबले आसपास ज्यादा ही मच्छर भिनभिनाते हुए दिखाई दे रहे होंगे, इसकी वजह है कि इस बार देश के कई राज्यों में मच्छरों की पैदावार काफी ज्यादा रही है. नेशनल सेंटर फॉर वैक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कई सालों के मुकाबले इस बार मच्छरों की अच्छी खासी संख्या देखी जा रही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शायद यही वजह है कि दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि देश के बाकी राज्यों में भी इस बार मच्छर जनित बीमारियों जैसे डेंगू, चिकनगुनिया के अलावा मलेरिया के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है. अक्टूबर 2022 तक ही देश में एक लाख 10 हजार से ज्यादा डेंगू के मामले आ चुके हैं वहीं करीब इतने ही चिकनगुनिया के संदिग्ध केस भी पाए गए हैं.
बातचीत में एनवीबीडीसीपी की वरिष्ठ विशेषज्ञ ने बताया कि इस साल खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर में मच्छरों की पैदावार बढ़ी है. इन मच्छरों में डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छर भी हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि एनसीआर में जिन मच्छरों की संख्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है उनमें एलिफेंटाइसिस या फाइलेरिया बीमारी फैलाने वाले मच्छर ज्यादा हैं. ये मच्छर जहां भी काटते हैं वहां रोगी के पांव बहुत मोटे हो जाते हैं, हालांकि इन मच्छरों की संक्रमण क्षमता कमजोर होने के चलते इनके काटने से बीमारी का कोई प्रभाव नहीं देखा जा रहा है.
ऐसे चला मच्छरों की संख्या बढ़ने का पता
डॉ. बताती हैं कि एनवीबीडीसीपी की टीम कई क्षेत्रों के पानी में मच्छरों की ब्रीडिंग का पता लगाती है. ऐसे में पानी के किसी सैंपल में अगर मच्छरों का लार्वा दो-चार है तो कम है, अगर यही 15-20 है तो ठीक-ठाक है वहीं अगर अनगिनत है तो ये माना जाता है कि मच्छरों की ब्रीडिंग काफी अच्छी है और बड़े होकर यही लार्वा मच्छर बनेगा और लोगों को प्रभावित करेगा. इस बार भी कई जगहों पर अनगिनत या ज्यादा ही लार्वा देखा गया है.