भारत में तीन सप्ताह तक लगातार सोने की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, हालांकि 3 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद भी गोल्ड प्राइस में मजबूती बरकरार नहीं रह पाई. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का दिसंबर वायदा अनुबंध शुक्रवार को 194 रुपये प्रति 10 ग्राम कम होकर 52,649 रुपये के स्तर पर बंद हुआ, जबकि हाजिर सोने की कीमत 0.55 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,750 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर बंद हुई.
कमोडिटी मार्केट के जानकारों के मुताबिक, भारतीय रुपये में फिर से कमजोरी सोने की कीमतों में गिरावट का प्रमुख कारण बनी. उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते करीब 4 फीसदी की गिरावट के बाद डॉलर इंडेक्स में स्थिरता रहने से वीकेंड सेशन में सोने की कीमतों में तेजी पर रोक लगी. इस सप्ताह फेड के कई अधिकारियों के आक्रामक बयान ग्रीनबैक में बदलाव का प्रमुख कारण थे. वहीं, इस वीक फेड मिनट्स जारी होने से पहले सोने की कीमतों में मुनाफावसूली देखने की उम्मीद है.
यूएस फेड की बैठक के बाद तय होगी सोने के भाव की चाल
मिंट की खबर के अनुसार, रेलिगेयर ब्रोकिंग में कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च की वाइस प्रेसिडेंट सुगंधा सचदेवा ने हाल के उच्च स्तर से सोने की कीमतों में गिरावट के कारणों पर बात करते हुए कहा, “रुपये में नए सिरे से कमजोरी, सोने की कीमतों में गिरावट का प्रमुख कारण रही. पिछले सप्ताह में लगभग 4 प्रतिशत की तेज गिरावट के बाद डॉलर इंडेक्स में मामूली मंदी आई, जिसने उच्च स्तर पर सोने के भाव की बढ़त को सीमित कर दिया.
बाजार को उम्मीद है कि यूएस फेड रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गति को धीमा कर सकता है. क्योंकि अक्टूबर में महंगाई के आंकड़ों में हल्की गिरावट देखने को मिली है. हालांकि, इस सप्ताह फेड के अधिकारियों ने तेजतर्रार भाषणों के जरिए सख्त मॉनेटरी पॉलिसी को जारी रखने के संकेत दिए हैं, जब तक कि उच्च मुद्रास्फीति को कम नहीं किया जाता है.