अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को अपनी करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से बाहर कर दिया है. भारत के अलावा इस सूची से इटली, मेक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को भी हटाया गया है. ट्रेजरी विभाग ने अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई छमाही रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है. बता दें कि अगर अमेरिकी को किसी देश की फॉरेन एक्सचेंज पॉलिसी पर संदेह होता है तो वह उसे निगरानी सूची में डाल देता है.
गौरतलब है कि चीन को अब भी इस सूची से नहीं हटाया गया है. पड़ोसी मुल्क के अलावा इस सूची में अभी जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान शामिल हैं. अमेरिका का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब यूएस ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन नई दिल्ली के दौरे पर हैं. उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात और वार्ता की थी.
क्या है मुद्रा निगरानी सूची?
अमेरिका अपने प्रमुख भागीदारों की मुद्रा पर निगरानी के लिए यह सूची तैयार करता है. इसके तहत अमेरिका अपने प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा संबंधी गतिविधियों और आर्थिक नीतियों पर नजर रखता है. जिन देशों के फॉरेन एक्सचेंज रेट पर उसे शक होता है, अमेरिकी उन्हें इस सूची में डाल देता है. भारत पिछले दो साल से अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची में था. अमेरिका ने कहा है कि चीन की विदेशी मुद्रा विनिमय को प्रकाशित करने में विफलता और एक्सचेंट रेट के संबंध में पारदर्शिता की व्यापक कमी के कारण इसे सूची में रखे जाने की जरूरत है.
भारत का इस लिस्ट से बाहर आना यह दिखाता है कि अमेरिका का हमारे देश पर भरोसा बढ़ा है. इसका जिक्र अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने भी किया है. उन्होंने शुक्रवार को बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के एक कथन का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत अमेरिका का अनिवार्य साझेदार है. येलेन ने कहा कि यह कथन मौजूदा हालात में बिलकुल सही है. बकौल येलेन, हालिया चुनौतिया भारत और अमेरिका को पहले से भी अधिक करीब लगाई हैं. हालांकि, ट्रेजरी विभाग की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि जिन देशों को सूची से बाहर किया गया है उन्होंने भी निगरानी सूची से हटाए जाने के लिए तय 3 मानदंडों में से केवल एक को पूरा किया है.