भारत को 2030 तक 500 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को करीब 300 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है. एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. ऑर्थर डी लिटल (ADL) की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पास 165 गीगावॉट की हरित ऊर्जा क्षमता पहले से है. भारत अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरत को नवीकरणीय पोर्टफोलियो से पूरा करने के लिए सही दिशा में अग्रसर है.
एडीएल की रिपोर्ट ‘पावरिंग इंडियाज एनर्जी विजन-2030’ में कहा गया है कि भारत को 2030 तक 500 गीगावॉट की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए 300 अरब डॉलर के अतिरिक्त रणनीतिक निवेश की जरूरत है.
देश में आने वाले वर्षों में बिजली की खपत बढ़ेगी
रिपोर्ट के अनुसार, अगले दशक के दौरान भारत में बिजली की खपत सालाना 5.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और 2030 तक वार्षिक मांग 2,300 अरब यूनिट (बीयू) पर पहुंच जाएगी. हालांकि, मौजूदा रफ्तार से देखा जाए, तो 2030 तक उत्पादन सिर्फ 2,024 अरब यूनिट पर पहुंचेगा.
बता दें कि ऊर्जा के वैकल्पिक माध्यम के तौर पर ग्रीन एनर्जी एक अहम जरिया है और सरकार लगातार इस पर जोर दे रही है. देश में ग्रीन एनर्जी या स्वच्छ ऊर्जा (Green Energy) का बड़े स्तर पर उत्पादन हो ताकि इसे लेकर दूसरों देशों पर हमारी निर्भरता कम हो जाए. इस उद्देश्य से केंद्र सरकार ने पिछले साल एक अहम फैसला लिया था.
सरकार ने देश में आत्मनिर्भर अभियान के तहत ग्रीन एनर्जी इंडस्ट्री (Green Energy Industry) को बढ़ावा देने के लिए एडवांस केमिस्ट्री सेल की उत्पादन यूनिटों की बेहद बड़े स्तर पर स्थापना के लिए वैश्विक रूप से बोलियां आमंत्रित की थी. इन यूनिटों को अगले 2 साल में लगाए जाने की योजना है.
इस साल मई में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में आने वाले वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने देश के 3 राज्यों में 22 सौ अरब रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव वाले एमओयू (सहमित पत्र) पर दस्तखत किए गए थे. इनें आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं.