सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वर्ष 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना को वैध करार दिया है. हालांकि, अदालत ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए रखी गई 15,000 रुपये मासिक वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर) की शर्त को रद्द कर दिया है. संशोधन से पहले, अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 6,500 रुपये महीना था. जो कर्मचारी पहले पेंशन योजना में शामिल नहीं हुए, उन्हें इस योजना में 6 महीने के भीतर शामिल होने का मौका भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा चलाई जाने वाली कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) एक रिटायरमेंट स्कीम है. भारत में इसे 1995 में लॉन्च किया गया था. इस योजना में मौजूदा और नए ईपीएफ सदस्य शामिल हो सकते हैं. यह योजना संगठित क्षेत्र के रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए है, जो 58 वर्ष की आयु में रिटायर हो चुके हैं. नियोक्ता या कंपनी और कर्मचारी दोनों ही, ईपीएफ फंड में कर्मचारी की सैलरी में से 12 प्रतिशत का समान योगदान इसमें करते हैं. कर्मचारी के योगदान का पूरा हिस्सा ईपीएफ में जाता है. वहीं, नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान का 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में और 3.67 प्रतिशत हर महीने ईपीएफ में जाता है.
2014 में किया गया संसोधन
कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 में 2014 में संसोधन किया गया. संशोधन से पहले, कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस योजना) के पैराग्राफ 6 में के अनुसार ईपीएस योजना हर उस कर्मचारी पर लागू होगी जो 16 नवंबर 1995 को या उसके बाद कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 का सदस्य बना हो. ईपीएस योजना के पैराग्राफ 11 के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन कर्मचारियों की सदस्यता से कर्मचारी के बाहर निकलने की तारीख के पहले 12 महीनों की अवधि के दौरान प्राप्त औसत मासिक वेतन होगा.
पहले अधिकतम पेंशन योग्य वेतन की सीमा 6,500 रुपये मासिक थी. 2014 में योजना में किए गए संसोधन के बाद पेंशन योग्य वेतन को 15,000 रुपये कर दिया गया. इसी पर सबसे ज्यादा विवाद हुआ और आज सुप्रीम कोर्ट ने इस सीमा को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया.
कौन हैं पात्र?
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कुछ शर्तों को पूरा करना होता है. कर्मचारी ईपीएफओ का सदस्य होना चाहिए• कुल मिलाकर उसने कम से कम 10 साल तक नौकरी की हो और उसकी आयु 58 साल हो चुकी हो.
ऐसे मिलता है पेंशन लाभ
पेंशन राशि अलग- अलग मामलों में अलग-अलग होती है. कोई भी सदस्य 58 वर्ष की आयु में रिटायर होकर पेंशन लेना शुरू कर सकता है. 50 साल का होने पर भी पेंशन मिल सकती है, परंतु उसको ईपीएस से पेंशन के रूप में कम पैसे मिलेंगे. कर्मचारी दो साल (60 साल की उम्र तक) पेंशन को स्थगित भी कर सकता है. यदि ईपीएफओ सदस्य पूर्ण रूप से विकलांग हो जाता है और उसने पेंशन योग्य सेवा अवधि भी पूरी नहीं की है, तब भी वह मासिक पेंशन का हकदार है.