भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली करते आ रहे विदेशी निवेशकों ने अब अपने हाथ रोक लिए हैं. पिछले महीने 7,600 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी के बाद अक्टूबर में FPI ने मार्केट में बिकवाली की रफ्तार कम कर दी है. इस महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बाजार से अब तक 1586 करोड़ रुपये निकाले हैं.
इससे पहले अगस्त में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर (FPI) ने 51,200 करोड़ रुपये की खरीदी की थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में पीएमएस प्रमुख के दिलीप ने कहा कि नवंबर के महीने में कमोबेश इसी तरह का फ्लो जारी रहने की उम्मीद है
पिछले 4 दिनों में 6 हजार करोड़ का निवेश
डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चला है कि, FPI ने 28 अक्टूबर तक शेयर बाजार से 1,586 करोड़ रुपये निकाले हैं. फिलहाल इस महीने अभी एक दिन (31 अक्टूबर) शेयर बाजार खुलना बाकी है. वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार कारोबारी सत्रों में तो उन्होंने करीब 6,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इससे पहले जुलाई में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में करीब 5,000 करोड़ रुपये डाले थे. FPI पिछले साल अक्टूबर से लगातार 9 महीने तक बिकवाली करते आए. इस साल अभी तक FPI के निकासी का आंकड़ा 1.70 लाख करोड़ रुपये पर तक पहुंच गया है.
कमजोर ग्लोबल संकेतों से निवेश प्रभावित
कोटक सिक्योरिटीज में हेड-इक्विटी रिसर्च (रिटेल) श्रीकांत चौहान ने अक्टूबर के विदेशी निवेशकों की बिकवाली के लिए पूंजी की उच्च लागत और भू-राजनीतिक जोखिम को जिम्मेदार बताया है. वहीं, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के दिलीप ने कहा, “अक्टूबर में एफपीआई आउटफ्लो / इनफ्लो की मात्रा पिछले महीने की तुलना में कम थी, लेकिन वैश्विक बाजार की गतिविधियों के अनुरूप विशेष रूप से अमेरिकी बाजार से मिले संकेतों ने हमेशा की तरह हमें प्रभावित किया.”
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, “यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी की संभावना, रुपये में गिरावट, आर्थिक मंदी की आशंका और यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध के चलते भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों का पूंजी का निकालना जारी रहेगा. क्योंकि इस समय अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है और निवेशक कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं”