पाकिस्तान (Pakistan) ने कहा है कि उसने टेरर फाइनेंसिंग (terror financing) रोक दी है और अब उसे ग्रे लिस्ट (Grey List) से बाहर किया जाए. यह दावा अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के अनुपालन में किया गया है. पाकिस्तान 2018 से FATF की ग्रे लिस्ट में है. इस कारण से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय संगठनों से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. अब रविवार को पेरिस में होने वाली FATF की बैठक में पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार शामिल होने जा रही हैं. FATF की बैठक 18 से 21 अक्टूबर तक पेरिस में होगी. एशिया-प्रशांत समूह की 11 शर्तों के गैर-टिकाऊ कार्यान्वयन के संबंध में एफएटीएफ की आपत्तियों पर पाकिस्तान द्वारा प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने की उम्मीद है.
पाकिस्तान के सफेद झूठ पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आतंकवादी शिविर अभी भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद हैं. मदरसे भी जिहाद मॉडल पर चल रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान का दावा गलत और एक धोखा है. वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने News18 को बताया कि पाकिस्तान यह दावा कर रहा है कि वह आतंकवाद को फाइनेंस नहीं कर रहा है, लेकिन यह सच नहीं है. आज भी पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में आतंकी शिविर और जिहाद मॉडल वाले मदरसे चल रहे हैं. पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है और उसके आतंकी भारत को लक्ष्य बना रहे हैं.
ग्रे के बाद ब्लैक लिस्ट, FATF ने बनाई है कई श्रेणी
गौरतलब है कि FATF की ग्रे लिस्ट में होना देशों के लिए सुधारात्मक उपाय करने की चेतावनी है, ऐसा न करने पर उन्हें कड़ी ‘FATF ब्लैक लिस्ट’ में ले जाया जाएगा. सूची में शामिल 23 देशों में पाकिस्तान के अलावा सीरिया, तुर्की, म्यांमार, फिलीपींस, दक्षिण सूडान, युगांडा और यमन शामिल हैं. इधर भारत ने पाकिस्तान के सफेद झूठ पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. जुलाई में, News18 ने रिपोर्ट किया था कि कैसे इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की मदद से, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) क्षेत्र के तीन समूहों में आतंकी शिविर चलाए जा रहे हैं. शीर्ष खुफिया सूत्रों ने हाल ही में News18 को बताया था कि ISI दुनिया को यह साबित करने के लिए कि घाटी ‘अस्थिर’ है, सर्दियों से पहले कश्मीर में अधिक से अधिक आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर रही है.
क्या है FATF और उसकी ग्रे लिस्ट में होने का मतलब
FATF की स्थापना जुलाई 1989 में पेरिस में जी -7 शिखर सम्मेलन द्वारा की गई थी. शुरुआत में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के उपायों की जांच और विकास करने के लिए तक ही यह संस्था सीमित थी, लेकिन अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद, अक्टूबर 2001 में FATF ने आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल करने के लिए अपने जनादेश का विस्तार किया. अप्रैल 2012 में इसने सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को भी जोड़ा. इसकी ग्रे लिस्ट में होने का मतलब है कि वह देश, मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर-फाइनेंसिंग ऑपरेशंस को नियंत्रित नहीं कर सकता है और उसे अंतर-सरकारी निकाय FATF द्वारा निगरानी में रखा गया है. ग्रे लिस्ट में होने से किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रणाली तक पहुंच प्रतिबंधित हो जाती है.