मौसम और महंगाई की मार के साथ सरकार के सामने अब दोहरी चुनौती आ गई है. एक तरफ तो गेहूं का उत्पादन घटने का अनुमान है तो दूसरी ओर इसका सरकारी स्टॉक भी घटकर 14 साल के निचले स्तर पर चला गया है. इससे पहले 12 अक्तूबर को जारी सरकारी आंकड़ों में खाद्य महंगाई की खुदरा दर बढ़कर 22 महीने के शीर्ष पर पहुंच गई थी.
सरकार ने कोरोनाकाल में मुफ्त अनाज बांटने की योजना शुरू की थी, जिसमें देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है. फिलहाल योजना का विस्तार दिसंबर, 2022 तक कर दिया गया है, लेकिन इस बीच फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने आंकड़े जारी कर बताया है कि देश में गेहूं का भंडार काफी कम हो गया है. इसका बड़ा कारण रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद किसानों की ओर से प्राइवेट खरीदारों को गेहूं बेचना रहा है. एफसीआई ने बताया कि देश में चावल का भंडार तो पर्याप्त है, लेकिन गेहूं का स्टॉक 14 साल के निचले स्तर पर चला गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े
एफसीआई ने बताया कि अगर गेहूं चावल के कुल भंडारण को देखा जाए तो 1 अक्तूबर को देश में दोनों का भंडार 5.11 करोड़ टन रहा है, जो सरकार के जरूरी बफर और मानक से करीब 66 फीसदी अधिक है. सरकार का जरूरी बफर स्टॉक 3.07 करोड़ टन का ही है. हालांकि, सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए गेहूं और चावल दोनों के ही निर्यात पर रोक लगा दी है, ताकि घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखा जा सके. गेहूं का स्टॉक इसलिए चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है, क्योंकि अक्तूबर में यह 2.27 करोड़ टन ही रहा, जो मिनिमम बफर लेवल 2.05 करोड़ टन से बस थोड़ा ही ऊपर है.
उत्पादन में बड़ी गिरावट
इस साल मार्च के महीने में लू की वजह से गेहूं के उत्पादन पर खासा असर पड़ा है. कम उत्पादन के कारण मई में गेहूं की सप्लाई पर भी असर पड़ा. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्लोबल मार्केट में भी गेहूं की मांग बढ़ी और भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात किया गया. निजी आढ़तियों ने किसानों को सरकारी भाव से ज्यादा दाम दिया और गेहूं खरीदकर निर्यात करना शुरू कर दिया. इससे भी सरकारी खरीद पर असर पड़ा. हालांकि, बाद में सरकार ने गेहूं और आटे के निर्यात पर रोक लगा दी. साथ ही चावल का निर्यात भी रोक दिया और इस पर प्रति क्विंटल 20 फीसदी शुल्क लगा दिया.
क्या कहते हैं कृषि मंत्रालय के आंकड़े
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बीते अगस्त में अनुमान जारी कर बताया था कि इस साल लू और खराब मौसम की वजह से गेहूं का कुल उत्पादन गिरकर 10.64 करोड़ टन रह जाएगा. इससे पहले 2020-21 में 10.95 करोड़ टन रहा था. यह इस साल के लिए बनाए गए लक्ष्य से करीब 2.87 फीसदी कम रहने का अनुमान है.