महात्मा गांधी को लोग प्यार से ‘महात्मा’ या ‘बापू’ के रूप में याद करते हैं. उन्होंने भारत की आजादी के लिए चले कई आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. महात्मा गांधी ने विभिन्न शांतिपूर्ण आंदोलनों के माध्यम से अहिंसा के सिद्धांत और उसकी ताकत को दुनिया के सामने पेश किया. महात्मा गांधी ने अपने मूल्यों और सिद्धांतों से दुनिया भर के नेताओं को प्रेरित किया. हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर लोग ‘राष्ट्रपिता’ के योगदान को याद करते हैं.
अहिंसा के संदेश को फैलाने के लिए इस दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है. अहिंसा में महात्मा गांधी के विश्वास का सम्मान करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन ‘2 अक्टूबर’ को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया. आज महात्मा गांधी की 153वीं जयंती है. मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. वह 1893 में वकालत करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए और वहां 21 साल बिताए. महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव की पीड़ा का सामना करना पड़ा. पीटरमारित्जबर्ग में फर्स्ट क्लास के डिब्बे में यात्रा करते समय उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था. इसके बाद उन्होंने हर तरह के भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने का दृढ़ संकल्प किया था. अफ्रीका में महात्मा गांधी ने प्रवासी भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और जेल भी गए.
भारत वापस लौटने के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और चंपारण सत्याग्रह सहित भारत में कई स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और उनमें बड़ा योगदान दिया. महात्मा गांधी 1915 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और बाद में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने. 1930 में महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया और गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी तक एक मार्च निकाला. जो 5 अप्रैल को दांडी गांव में समाप्त हुआ. महात्मा गांधी और उनके चुने हुए अनुयायी समुद्र के किनारे गए और नमक को उठाकर नमक कानून तोड़ा.