फेस्टिव सीजन में आम जनता को झटका लगा है. दरअसल, नैचुरल गैस की कीमत 40 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. इसी के साथ अनुमान लगाया जा रहा है कि आम आदमी को महंगाई का एक और झटका लग सकता है. बहुत जल्द सीएनजी (CNG) और पीएनजी (PNG) के दाम बढ़ सकते हैं.
ONGC और ऑयल इंडिया के पुराने क्षेत्रों से गैस का दाम बढ़ाया गया
तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग और एनालिसिस सेल यानी पीपीएसी (PPAC) के आदेश के मुताबिक, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के पुराने क्षेत्रों से गैस का दाम 6.1 से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू किया गया. इसी दर पर देश में उत्पादित गैस के लगभग दो तिहाई हिस्से की बिक्री होगी. इस आदेश के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके भागीदार बीपी पीएलसी द्वारा केजी बेसिन में संचालित डी-6 ब्लॉक जैसे मुश्किल एवं नए क्षेत्रों से निकाली जाने वाली गैस की कीमत 9.92 डॉलर से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति इकाई कर दी गई है.
अप्रैल 2019 के बाद से गैस की दरों में यह तीसरी वृद्धि होगी. बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मजबूती के कारण इनमें तेजी आई है.
नैचुरल गैस फर्टिलाइजर्स बनाने के साथ बिजली पैदा करने के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है. इसे सीएनजी में भी परिवर्तित किया जाता है और पीएनजी यानी रसोई गैस के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. दरों में भारी वृद्धि से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में बढोत्तरी होने की आशंका है, जो पहले से ही पिछले एक साल में 70 फीसदी से अधिक बढ़ चुकी हैं.
1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को गैस की कीमतें तय करती है सरकार
उल्लेखनीय है कि सरकार हर 6 महीने यानी 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को गैस की कीमतें तय करती है. यह कीमतें अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस-अधिशेष देशों में एक साल में एक चौथाई के अंतराल के साथ प्रचलित दरों के आधार पर तय की जाती हैं. 1 अक्टूबर से 31 मार्च की कीमत जुलाई 2021 से जून 2022 तक की औसत कीमत पर आधारित है. इस अवधि में वैश्विक स्तर पर दरें तेजी से बढ़ी हैं.
बढ़ सकती है महंगाई
गैस की उच्च कीमतें मुद्रास्फीति को और भी बढ़ा सकती हैं जो पिछले 8 महीनों से आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर चल रही है. सरकार ने मूल्य निर्धारण फार्मूले की समीक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया है.
बिजली बिल से लेकर खेती-बाड़ी तक असर
सूत्रों ने कहा कि नैचुरल गैस की कीमतों में वृद्धि से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और रसोई गैस की दरों में वृद्धि होने की संभावना है. इससे बिजली पैदा करने की लागत में भी वृद्धि होगी लेकिन उपभोक्ताओं को कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी क्योंकि गैस से पैदा होने वाली बिजली का हिस्सा बहुत कम है. इसी तरह, फर्टिलाइजर्स प्रोडक्शन की लागत भी बढ़ जाएगी लेकिन सरकार की तरफ से फर्टिलाइजर्स सब्सिडी देने से दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है. हालांकि इस फैसले से उत्पादकों की आय में वृद्धि होने की संभावना है.