ईंधन कंपनियां हर महीने की शुरुआत में अपने उत्पादों के दाम में बदलाव करती हैं. 1 अक्टूबर में अब 2 दिन बाकी हैं और अनुमान है कि सीएनजी की कीमतों में तेजी आ सकती है. दरअसल, 1 अक्टूबर को होने वाली कीमतों की समीक्षा में नैचुरल गैस के दाम बढ़ाए जा सकते हैं. इस गैस को सीएनजी में बदला जाता है.
ईंधन की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में आई तेजी के कारण गैस प्रोडक्शन महंगा हो गया है. ओएनजीसी द्वारा ऑयल फील्ड्स से गैस उत्पादन की कीमत 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट से बढ़कर 9.1 डॉलर पहुंचने का अनुमान है. इसी तरह अन्य डोमेस्टिक गैस उत्पादक कंपनियों का खर्च बढ़ने का भी अनुमान है.
हर 6 महीने में सरकार तय करती है नैचुरल गैस की कीमत
आपको बता दें कि गैस की कीमत हर 6 महीने में एक बार सरकार तय करती है. सरकार यह हर साल 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को करती है. गैस की कीमतें इसकी अधिकता वाले देश में चल रही कीमतों पर आधारित होती है. हालांकि, उन देशों की एक तिमाही पुरानी गैस कीमत देखी जाती है. इसका मतलब है कि 1 अक्टूबर को सीएनजी के दाम में होने वाला बदलाव जुलाई 2021 से जून जून 2022 की औसत कीमतों के आधार पर तय होगा. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमतें आसमान छू रही थीं. खबरों के अनुसार, सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमतों के फॉर्मूले की समीक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया है.
एलपीजी की कीमत
1 सितंबर को कमर्शियल एलपीजी की कीमत में 100 रुपये तक की कमी की गई थी. दिल्ली में इंडेन का सिलिंडर 91 रुपये, कोलकाता में 100 रुपये और मुबंई में 92.50 रुपये सस्ता हुआ था. हालांकि, 14.2 किलोग्राम वाले घरेलू एलपीजी सिलिंडर की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया गया था. त्योहारी सीजन को देखते हुए इस बार भी उम्मीद जताई जा रही है इस बार भी घरेलू गैस की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होगी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में कोई बहुत तेज उछाल देखने को नहीं मिला है जिसका असर एलपीजी की कीमतों पर होगा. बता दें कि एलपीजी की कीमत में क्रूड ऑयल प्राइज, समुद्री भाड़ा, इंश्योरेंस, कस्टम ड्यूटी, बंदरगाह का खर्च, डॉलर से रुपये का एक्सचेंज, माल ढुलाई, तेल कंपनी का मार्जिन, बॉटलिंग लागत, मार्केटिंग खर्च डीलर कमीशन व जीएसटी शामिल होता है.