क्या कहते हैं हृदय रोग विशेषज्ञ?
मुंबई के मसीना अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रुचित शाह सलाह देते हैं, “आपको केवल सप्ताह में पांच दिन 150 मिनट या प्रत्येक दिन 30 मिनट व्यायाम करने की जरूरत है. जिसमें एरोबिक्स, वेट ट्रेनिंग और स्ट्रेचिंग आदि शामिल होनी चाहिए. आप इन्हें रोटेशनल तरीके से भी कर सकते हैं. ऐसा करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए अच्छा है. व्यायाम के दौरान अगर आप असुविधा महसूस करते हैं तो तुरंत रुक जाएं और किसी भी हाई इंटेंसिटी वर्कआउट को करने से पहले अपना टेस्ट करवा लें.”
शेल्बी हॉस्पिटल्स अहमदाबाद के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ शालिन ठाकोर से मिली जानकारी के मुताबिक, “नियमित व्यायाम आपकी हृदय गति को बढ़ाता है, आपके हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में सहायता करता है. दूसरी ओर, जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने और ओवर एग्जर्शन करने को ‘एट्रियल फाइब्रिलेशन’ (Atrial fibrillation) के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है, जिसमें हार्ट रिदम इर्रेगुलर हो जाती है और अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए तो यह घातक साबित हो सकता है. इसके अलावा, यह संभावित रूप से हृदय संबंधी दिक्कतों के जोखिम को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी या कोरोनरी हृदय रोग वाले लोगों के लिए ये और मुश्किल बढ़ा सकता है.
क्या है हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी?
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी, आमतौर पर जीन के कारण होती है, जब हार्ट चैंबर (बाएं वेंट्रिकल) की वॉल सामान्य से अधिक मोटी हो जाती है. मोटी वॉल सख्त हो सकती है और यह दिल की हर धड़कन के साथ शरीर में ब्लड सप्लाई को कम कर सकती है. हृदय की मांसपेशी का मोटा हिस्सा, आमतौर पर दो निचले चैंबर्स (निलय) के बीच की दीवार (सेप्टम), बाएं वेंट्रिकल से महाधमनी यानी ओरटा तक ब्लड फ्लो को रोक देता है या कम कर देता है. डॉ शाह के अनुसार इसके कारण अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है और एक मरीज को पहले 60 सेकंड में कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन यानी सीपीआर की मदद से होश में लाने की आवश्यकता होती है. उनका कहना है, “हमें सीपीआर के बारे में स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को प्रशिक्षित करना चाहिए. हम सभी को पता होना चाहिए कि इसे कैसे किया जाए.”
मेदांता अस्पताल, गुड़गांव में क्लिनिकल और प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी के अध्यक्ष डॉ आरआर कासलीवाल जिम जाने से पहले कार्डियक वर्क-अप की सलाह देते हैं और कहते हैं, “सिर्फ एक टीएमटी (ट्रेडमिल परीक्षण) इसके लिए पर्याप्त नहीं है. इन दिनों सीटी एंजियोग्राफी होने लगी है जो बता सकती है कि 40 से 50 प्रतिशत ब्लॉकेज है या नहीं. इस तरह की दिक्कत टीएमटी पर दिखाई नहीं देती. जिम जाने से पहले या वर्कआउट करने से पहले हमेशा अपने दिल की सेहत के बारे को जानें.”
उनका कहना है कि यह उन सभी पर लागू होना चाहिए जिन्होंने महामारी के दौरान वर्कआउट करना बंद कर दिया था और अब वह फिर से पुराना रुटीन फॉलो कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डाबिटीज के रोगियों और महिलाओं के लिए इस तरह की जांच विशेष रूप से आवश्यक है क्योंकि ज्यादातर मामलों में उन्हें छाती में एक सामान्य दर्द के रूप में दिल का दौरा पड़ने का अनुभव नहीं होता है.
ज्यादा एक्सरसाइज करना दिल की सेहत के लिए कैसे फायदेमंद या नुकसानदायक?
व्यायाम करने से दिल पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से लाभकारी प्रभाव पड़ता है. डायरेक्ट असर जैसे हृदय की मांसपेशियों को मजबूती मिलना और दिल का बेहतर तरीके से ब्लड पंप कर पाना और इनडायरेक्ट प्रभावों की बात की जाए तो वर्कआउट रक्तचाप, शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल और शरीर में फैट को कंट्रोल कर दिल का दौरा पड़ने की की संभावना को कम करता है.
मुंबई के सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल, स्पोर्ट्स मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन के निदेशक डॉ आशीष कॉन्ट्रेक्टर के अनुसार, “यह ध्यान रखना जरूरी है कि स्वस्थ हृदय वाले व्यक्ति की अचानक कार्डियक डैथ होने की संभावना बहुत कम होती है लेकिन जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज उन लोगों में कार्डियक इवेंट को ट्रिगर कर सकती है जिन्हें साइलेंट हार्ट प्रॉब्लम हो या जिनके हृदय रोग की जांच न हुई हो.” उनका कहना है कि कोई एक्सरसाइज करने की कोई अपर लिमिट नहीं है. यह सब व्यक्ति के ट्रेनिंग टेवल पर निर्भर करता है. थंब रूल यह है कि किसी भी व्यायाम को करते समय पिछली बार की तुलना में दस प्रतिशत से अधिक मेहनत की वृद्धि नहीं होनी चाहिए. इस दौरान मौसम का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि एक्सट्रीम वेदर कंडिश्नस में वर्कआउट करने से एक स्वस्थ व्यक्ति भी गंभीर परिणाम भुगत सकता है.