करदाता पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) कार्ड से तो भली-भांति परिचित होंगे. टैक्स भरने के लिए पैन कार्ड अनिवार्य होता है. लेकिन क्या आपने कभी टैन (टीएएन) कार्ड का नाम सुना है. टैन कार्ड भी टैक्स से संबंधित दस्तावेज है. बहुत लोगों को टैन और पैन में फर्क नहीं पता है. टैन कार्ड का इस्तेमाल कहां होता है इसके बारे में भी लोगों को कम जानकारी है.
आज हम बताएंगे कि ये कार्ड क्या होता है. यह पैन कार्ड से कैसे अलग है, इसकी जरूरत कहां होती है और क्या पैन कार्ड की ही तरह हर टैक्स भरने वाले को टैन कार्ड भी रखना होता है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या है टैन कार्ड
टैन का पूरा नाम टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नबंर है. इसे भी आयकर विभाग द्वारा ही जारी किया जाता है. ये अंकों का अल्फन्यूमेरिक कोड होता है. अब सवाल है कि ये किसके लिए जरूरी होता है, तो आपको बता दें कि ये टैक्स देने वाले लोगों के लिए अनिवार्य नहीं है. टैन उन लोगों को लिए अनिवार्य होता है जो टैक्स कलेक्ट करते हैं. मान लीजिए आप किसी के लिए कोई काम करते हैं जिसके बदले आपको मेहनताना दिया जाना है. आप जिसके यहां काम कर रहे हैं वो काम के बदले पैसा देते समय उसमें से टीडीएस डिडक्ट करता है. यहां पर जो नियोक्ता है उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह टैक्स कलेक्ट करे. इसलिए उसका टैन बनवाना अनिवार्य होता है. अगर आप किसी कंपनी मालिक हैं और आपकी कंपनी में कुछ लोग काम करते हैं जिन्हें आप सैलरी देते हैं तो आपको टैन नंबर लेना होगा.
पैन से कैसे है अलग
टैन कार्ड उन लोगों के लिए होता है जो टैक्स काटते हैं और पैन नंबर उन लोगों के लिए होता है जो टैक्स भरते हैं. टीडीएस से जुड़े सभी दस्तावेजों में टैन नंबर जरूरी होता है. परमानेंट अकाउंट नंबर या पैन 10 अंकों का कोड होता है जो नौकरीपेशा लोगों के लिए खासा जरूरी होता है. पैन का इस्तेमाल सरकार आपके द्वारा किए गए बड़े लेन-देन की निगरानी के लिए भी करती है.
कैसे करें टैन के लिए अप्लाई
आप फऑर्म 49बी के माध्यम से टैन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से टैन के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए आपको 62 रुपये का भुगतान करना होता है. ऑनलाइन टैन कार्ज बनाने के लिए आपको एनएसडीएल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा.