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भारत को माल ढुलाई के क्षेत्र में शीर्ष देशों के साथ खड़ा कर देगी नई लॉजिस्टिक पॉलिसी! जानिए इसके बारे में सबकुछ

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देश में लॉजिस्टिक्स कारोबार को बढ़ावा देने और जीडीपी में लॉजिस्टिक के खर्च को घटाने के उद्देश्य से लाई जा रही नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज घोषणा करेंगे. नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी इस क्षेत्र में कार्य को सुगम बनाने और खर्च घटाने के उद्देश्य से लाई जा रही है. इसका  उल्लेख सबसे पहले 2021-22 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इसके बाद 2022-23 के बजट में भी इसका जिक्र किया गया. गौरतलब है कि इसका ड्राफ्ट 2019 में ही तैयार कर दिया गया था लेकिन कोविड-19 के कारण इसमें विलंब हुआ.

माना जा रहा है कि यह पॉलिसी लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की वाहक बनेगी. इस पॉलिसी में माल की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सिंगल विंडो परमिशन सुविधा शुरू की जाएगी. इसके अलावा लॉजिस्टिक्स से जुड़े विभिन्न विभागों और सुविधाओं को एक ही मंच पर लाया जाएगा ताकि माल ढुलाई को स्ट्रीमलाइन किया जा सके.

क्यों जरूरी है नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी
मनीकंट्रोल की एक खबर के अनुसार, भारत में लॉजिस्टिक्स का बिजनेस करीब 215 अरब डॉलर का है. इस पर होने वाला खर्च (लॉजिस्टिक कॉस्ट) जीडीपी का 13-14 फीसदी है. सरकार इसी खर्च को कम करना चाहती है ताकि निर्यात को बढ़ाया जा सके और देश को लॉजिस्टिक्स के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों के साथ मुकाबले में लाया जा सके. सरकार चाहती है कि लॉजिस्टिक कॉस्ट को घटाकर 10 फीसदी से नीचे ले आया जाए. भारत लॉजिस्टिक्स के मामले में दुनिया में 44वें स्थान पर है. अमेरिका, जापान, चीन और कई यूरोपीय देश ऐसे हैं जिनका लॉजिस्टिक कॉस्ट 7-9 फीसदी है. लॉजिस्टिक्स के कारोबार में जर्मनी शीर्ष पर है.

क्या खास है इस पॉलिसी में?
नई पॉलिसी के तहत सड़क, रेलवे, सीमा शुल्क, विमानन समेत कई अन्य विभागों की 30 से अधिक सेवाओं को एक मंच पर लाया जाएगा. इन सेवाओं या सुविधाओं का सीधा संबंध माल ढुलाई (लॉजिस्टिक्स) से होगा. इसका नतीजा यह होगा कि कई तरह की परमिशन के लिए संबंधित पक्ष को अलग-अलग जगह नहीं जाना होगा बल्कि एक ही स्थान पर उसे सारी जानकारी और अनुमति मिल जाएगी. इसी प्रणाली के जरिए माल ढुलाई के लिए सड़क परिवहन को निर्बाध बनाया जाएगा. इसके अलावा सिस्टम इंप्रूवमेंट ग्रुप भी बनाया जाएगा जिसके जरिए नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी से जुड़ी सभी परियोजनाओं की नियमित निगरानी की जाएगी.

क्या है लॉजिस्टिक्स और लॉजिस्टिक कॉस्ट
जब किसी कंपनी में माल तैयार होता है तो उसे वहां से उठाकर विभिन्न माध्यमों से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है. इसमें रेलवे, जलमार्ग, सड़क मार्ग और वायु मार्ग का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे ही माल ढुलाई या लॉजिस्टिक्स कहा जाता है. इस ढुलाई में जो खर्च आता है उसे माल भाड़ा या लॉजिस्टिक्स कॉस्ट कहा जाता है.

क्या होगा इसका लाभ
सबसे पहला तो यह कि नई पॉलिसी से इस क्षेत्र में काम बढ़ने और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की भी उम्मीद जताई जा रही है. इसके अलावा लॉजिस्टिक्स कॉस्ट घट जाने से उत्पादों का दाम भी नीचे आएगा. इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा. साथ ही माल ढुलाई बेहतर होने से विकास कार्य और तेजी से किए जा सकेंगे. जाहिर तौर पर इससे इकोनॉमी को भी समर्थन मिलेगा.

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