भारत को टीबी मुक्त (TB Free India Campaign) करने के लिए आज से पूरे देश में विशेष अभियान की शुरुआत होगी. देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President of India Draupadi Murmu) और पीएम मोदी (PM Modi) इस अभियान की शुरुआत करेंगे. ‘टीबी मुक्त राष्ट्र’ (TB Free Nation) बनाने की दिशा में मोदी सरकार (Modi government) की ये बड़ी पहल है. इसके लिए मोदी सरकार अब राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों और उपराज्यपालों (Governors and Lieutenant Governors) को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का फैसला किया है. टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए राज्यपाल और उपराज्यपाल को ‘निक्षय दूत’ बनाया जाएगा. बता दें कि इस अभियान के तहत तपेदिक नियंत्रण में सामुदायिक भागादारी बढ़ाने के लिए 9 लाख रोगियों को आम लोगों, गैरसरकारी संगठनों, कंपनियों सहित कई अन्य समूहों से गोद लेने का अह्वान किया जाएगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में तकरबीन 13 लाख तपेटिक रोगी हैं, जिनमें कई सरकारी और गैरसरकारी संगठनों ने 9 लाख रोगियों को गोद लेने पर सहमति जताई है. शेष रोगियों ने कहा है कि वह इलाज कराने में खुद ही सक्षम हैं. पिछले कई दिनों से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इसको लेकर प्रयास किए जा रहे थे. उन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि अब सरकार टीबी मरीजों को गोद लेने का ऐलान करने जा रही है. सरकार की नई योजना के मुताबिक अब आप टीबी मरीज को गोद ले सकेंगे लेकिन आपको उनके लिए पोषण आहार भेजने होंगे.
साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु शुक्रवार को टीबी मुक्त भारत कैंपेन का आगाज करेंगी, इसके तहत साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है और 2030 तक दुनिया से टीबी मुक्त किया जाएगा. इस प्रक्रिया में टीबी मरीज को गोद लेने पर हर महीने 1000 रुपये कीमत वाली न्यूट्रिएंट्स किट मरीज को भेजनी होगी. इस किट में न्यूट्रीशन वैल्यू के हिसाब से महीने भर के पोषण आहार की जानकारी वेबसाइट पर मौजूद होगी कि क्या-क्या और कितना मात्रा में होना चाहिए.
गोद लेने के ये हैं नियम
स्वास्थ्य मंत्रालय ने निक्षय मित्र अभियान के तहत मरीजों को पर्याप्त पोषण के लिए उन्हें ‘पोषण किट’ उपलब्ध कराने का फैसला किया है. इस अभियान के तहत व्यवस्था की गई है कि निक्षय मित्र बनने वाले व्यक्ति या संस्था कम से कम एक वर्ष के लिए और अधिक से अधिक 3 साल के लिए किसी ब्लॉक, वार्ड या जिले के टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें भोजन, पोषण, आजीविका के स्तर पर जरूरी मदद उपलब्ध करा सकते हैं.
आनंदी बेन पटेल ने शुरू की थी इस पहल की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने चार साल पहले मध्य प्रदेश में राज्यपाल रहते हुए इस आइडिया पर काम किया था. पटेल ने बाद में यूपी में भी इस आइडिया के तहत टीबी मरीजों को खुद भी भी गोद लिया और दूसरे स्वंयसेवी संस्थाओं को इन मरीजों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया था. इसी आइडिया को अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पूरे देश में लागू करने का फैसला किया है.
टीबी के मरीजों को मिलेगा अब ठीक से इलाज
देश के कई हिस्सों में अभी भी ट्यूबरक्यूलोसिस से पीड़ित मरीजों को संतुलित आहार नहीं मिल पाता है. इसके लिए हर महीने 500 रुपए की मदद भी की जाती है, लेकिन यह नाकाफी होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए चार साल पहले मध्य प्रदेश में राज्यपाल रहते आनंदीबेन पटेल ने एक पहल की शुरुआत की थी. टीबी उन्मूलन अभियान में अपना सहयोग देने के लिए उन्होंने भोपाल के 5 बच्चों को टीबी ट्रीटमेंट के लिए गोद लिया था. साथ ही राज्य के सभी यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों से 20-20 टीबी पीड़ित बच्चों को गोद लेने की अपील की थी.
देश में तकरीबन हर साल 20 लाख की आबादी टीबी के चपेट में आती है. 85 फीसदी मरीज उपचार से ठीक हो जाते हैं. मोदी सरकार ने साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया है. इसके तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अब सामुदायिक स्तर पर क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम चलाकर जनभागीदारी बढ़ाने का फैसला किया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर अब पूरे देश में ‘निक्षय मित्र’ कार्यक्रम के जरिए टीबी को देश से खत्म किया जाएगा.