Home राष्ट्रीय काेरोना के खिलाफ क्यों गेम चेंजर होगी भारत की पहली नेजल वैक्सीन?...

काेरोना के खिलाफ क्यों गेम चेंजर होगी भारत की पहली नेजल वैक्सीन? जानें

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भारत बायोटेक के इंट्रानेजल वैक्सीन को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंगलवार को मंजूरी मिल गई. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि नियामक ने 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण के लिए इमरजेंसी में प्रतिबंधित उपयोग के लिए टीके को मंजूरी दी है. भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने हाल ही में कहा था कि फर्म ने लगभग 4,000 स्वयंसेवकों के साथ नाक के टीके का टेस्ट पूरा किया और अब तक साइड इफेक्ट का एक भी उदाहरण सामने नहीं आया है. बायोटेक की इंट्रानेजल को सेंट लुइस स्थित वॉशिंगटन विश्वविद्यालय की पार्टनरशिप में तैयार किया गया है. भारत बायटेक ने बड़े स्तर पर प्री क्लीनिकल सुरक्षा आकलन किया था. बड़े पैमाने पर निर्माण, फॉर्मूला और इंसानों पर क्लीनिकल टेस्टिंग सहित डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर भारत बायोटेक ने काम किया.

भारत बायोटेक ने बताया है कि कोविड -19 इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154 के पहले डोज (शुरुआती दो खुराक) के तौर पर प्रभाव और कोविड-19 के अन्य टीके की दो शुरुआती खुराक लेने वालों को तीसरी खुराक पर बीबीवी 154 को देने पर होने वाले असर का आकलन किया गया. केंद्र सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी के कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत प्रोडक्ट के विकास और क्लीनिकल टेस्टिंग के लिए आर्थिक सहायता दी. डीसीजीआई ने पहले भारत बायोटेक के इंट्रानेजल वैक्सीन के लिए बूस्टर डोज के रूप में क्लिनिकल परीक्षण करने की अनुमति दी थी.

ड्रग रेगुलेटर ने फर्म को कोवैक्सिन के साथ BBV154 (इंट्रानेजल) की इम्युनोजेनेसिटी और सुरक्षा की तुलना करने के लिए तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण करने की भी अनुमति दी थी. भारत के टीकाकरण अभियान में अब तक कोविशील्ड का वर्चस्व रहा है, जो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है. साथ ही भारत बायोटेक के कोवैक्सीन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में इंट्रानेजल कोरोना से लड़ने के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. बायोटेक ने इंट्रानेजल के कई सारे फायदे बताए हैं.

इंट्रानेजल वैक्सीन नाक से दी जाने वाली वैक्सीन है. लोगों की नाक में वैक्सीन की कुछ बूंदें डालकर उसका टीकाकरण किया जाता है. इसमें कोई नीडल भी नहीं है. इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है. यह एक तरह का नेजल स्प्रे है. चिकिस्तकों की मानें तो कोई भी वायरस सबसे पहले हमारे नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करता है. कोरोना के भी हमारे शरीर में पहुंचने का सबसे अहम रास्ता नाक ही है. ऐसे में ये वैक्सीन कोरोना को फेफड़ों या शरीर के अन्य हिस्सों में जाने से रोक सकती है.

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