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56% महिलाओं के पास जनधन खाते, सरकारी योजनाओं का सीधे पहुंच रहा लाभ: वित्त मंत्री सीतारमण

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि वित्तीय समावेशन (अधिक से अधिक लोगों को वित्तीय प्रणाली में शामिल करना) समावेशी वृद्धि की तरफ बढ़ने वाला एक बड़ा कदम है जिससे समाज के सभी वंचित तबकों का समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है. वित्त मंत्री सीतारमण ने प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के आठ साल पूरे होने के मौके पर जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि बैंकिंग सेवा के दायरे से बाहर मौजूद लोगों को वित्तीय व्यवस्था का अंग बनाकर वित्तीय समावेशन की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं.

पीएमजेडीवाई की शुरुआत 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुई थी. इस योजना के तहत 46 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं जिनमें 1.74 लाख करोड़ रुपये जमा हैं. सीतारमण ने कहा कि इस योजना की मदद से देश की 67 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की पहुंच अब बैंकिंग सेवाओं तक हो चुकी है. इसके अलावा अब 56 प्रतिशत महिलाओं के पास भी जनधन खाते हैं.

जनधन खाते सीधे लाभार्थियों के पास पहुंची सरकारी योजनाएं
वित्त मंत्री ने बयान में कहा, ‘‘पीएमजेडीवाई को 2018 के बाद भी जारी रखने का फैसला देश में वित्तीय समावेशन के उभरते परिदृश्य की जरूरतों और चुनौतियों का सामना करने की मंशा से प्रेरित था.’’उन्होंने कहा, ‘‘अब हर परिवार के बजाय हर वयस्क के पास बैंक खाता होने को तवज्जो दी गई है. जनधन खातों के जरिये लोगों के पास सीधे सरकारी पैसा भेजने और रुपे कार्ड के इस्तेमाल से डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने का तरीका अपनाया गया है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के जनधन खातों को उनकी सहमति लेकर आधार नंबर और मोबाइल नंबर से जोड़ने की व्यवस्था (जेएएम) ने विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे पैसे भेज पाना सुविधाजनक हो गया है. बता दें कि सरकार पीएम किसान योजना, एलपीजी सब्सिडी, कई तरह की छात्रवृत्ति व नेशनल इंप्लॉयमेंट गांरटी स्कीम जैसी कई योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचाती है.

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