आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं. बहुत-बहुत बधाई. न सिर्फ हिन्दुस्तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वालों के द्वारा विश्व के हर कोने में यह हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है. मैं विश्वभर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
आज का यह दिवस ऐतिहासिक दिवस है. एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नये संकल्प और नये सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है. आजादी के जंग में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता है. हिन्दुस्तान का कोई कोना ऐसा नहीं था, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न किया हो. जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहूति न दी हो. आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरूष को, हर त्यागी को, हर बलिदानी को नमन करने का अवसर है. उनका ऋण स्वीकार करने का अवसर है और उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को जल्द से जल्द पूरा करने का संकल्प लेने का भी अवसर है. हम सभी देशवासी कृतज्ञ है, पूज्य बापू के, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के, बाबा साहेब अम्बेडकर के, वीर सावरकर के, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया. कर्तव्य पथ ही उनका जीवन पथ रहा. यह देश कृतज्ञ है, मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकुमत की नींव हिला दी थी. यह राष्ट्र कृतज्ञ है, उन वीरांगनाओं के लिए, रानी लक्ष्मीबाई हो, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चेनम्मा, बेगम हजरत महल, वेलु नाच्चियार, भारत की नारी शक्ति क्या होती है.
भारत की नारी शक्ति का संकल्प क्या होता है. भारत की नारी त्याग और बलिदान की क्या पराकाष्ठा कर सकती है, वैसी अनगिनत वीरांगनाओं का स्मरण करते हुए हर हिन्दुस्तानी गर्व से भर जाता है. आजादी का जंग भी लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनाबाभावे, नाना जी देशमुख, सुब्रह्मण्यमभारती, अनगिनत ऐसे महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है.
हम आजादी की जंग की चर्चा करते हैं तो हम उन जंगलों में जीने वाले हमारे आदिवासी समाज का भी गौरव करना हम नहीं भूल सकते हैं. भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हू, अल्लूरी सीताराम राजू, गोविंद गुरू, अनगिनत नाम हैं जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर के दूर-सदूर जंगलों में भी…. मेरे आदिवासी भाई-बहनों, मेरी माताओं, मेरे युवकों में मातृभूमि के लिए जीने-मरने के लिए प्रेरणा जगाई. ये देश का सौभाग्य रहा है कि आजादी की जंग के कई रूप रहे हैं और उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरू हो, स्वामी विवेकानंद हो, महर्षि अरविंदो हो, गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर हो, ऐसे अनेक महापुरुष हिन्दुस्तान के हर कोने में, हर गांव में भारत की चेतना को जगाते रहे. भारत को चेतनमन बनाते रहे.
अमृत महोत्सव के दौरान देश ने…. पूरे एक साल से हम देख रहे हैं. 2021 में दांढी यात्रा से प्रारंभ हुआ. स्मृति दिवस को संवरते हुए हिन्दुस्तान के हर जिले में, हर कोने में देशवासियों ने आजादी के अमृत महोत्सव के लक्ष्यावृद्धि कार्यक्रम किए. शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो वो शायद ये पहली घटना हुई है और हिन्दुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया जिनको किसी न किसी कारणवंश इतिहास में जगह ने मिली या उनको भूला दिया गया था. आज देश ने खोज-खोज करके हर कोने में ऐसे वीरों को, महापुरुषों को, त्यागियों को, बलिदानियों को सत्यावीरों को याद किया, नमन किया. अमृत महोत्सव के दरम्यिान इन सभी महापुरुषों को नमन करने अवसर रहा. कल 14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस भी बड़े भारी मन से हृदय के गहरे घावों को याद करते हुए उन कोटि-कोटि जनों ने बहुत कुछ सहन किया था, तिरंगे की शान के लिए सहन किया था. मातृभूमि की मिट्टी से मोहब्बत के कारण सहन किया था और धैर्य नहीं खोया था. भारत के प्रति प्रेम ने नई जिंदगी की शुरूआत करने का उनका संकल्प नमन करने योग्य है, प्रेरणा पाने योग्य है.