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टोकनाइजेशन के बावजूद आपके कार्ड का डेटा स्टोर कर सकेंगे बैंक, आरबीआई ने दी अनुमति

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आरबीआई ने 28 जुलाई को आदेश में कहा कि एक्वायरिंग बैंक भुगतानकर्ता के क्रेडिट या डेबिट कार्ड के डेटा (कार्ड ऑन फाइल) 31 जनवरी 2023 तक स्टोर कर सकते हैं. जबकि कार्ड टोकनाइजेशन प्रणाली के तहत बैंकों को यह डेटा ट्रांजेक्शन के तुरंत बाद डिलीट करना था. एक्वायरिंग बैंक उन्हें कहा जाता है जो दुकानदार के खाते में ग्राहक की ओर से पैसा जमा करते हैं. वहीं, ग्राहक के खाते से पैसा काटने वाले बैंक को इश्यूर बैंक कहा जाता है.

कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के अलावा एक ट्रांजेक्शन के पूरा होने की प्रक्रिया में व्यापारी और पेमेंट एग्रीगेटर भी शामिल होते हैं. इस तरह से अन्य 2 इकाइयां भी कार्ड का डेटा सेव कर सकेंगी. हालांकि, इसकी अधिकतम अवधि 4 दिन होगी. आरबीआई ने कहा है कि इस डेटा का इस्तेमाल केवल ट्रांजेक्शन सेटलमेंट के लिए होना चाहिए और उसके बाद इसे डिलीट करना होगा. गौरतलब है कि कार्ड इश्यूर और नेटवर्क को छोड़कर अन्य सभी इकाइयां 4 दिन के लिए डेटा 30 सितंबर तक की सेव कर सकती हैं और उसके बाद उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं होगी.

 

30 सितंबर तिथि बढ़ाई गई

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने कार्ड टोकेनाइजेशन सिस्टम लागू किए जाने की डेडलाइन बढ़ा कर 30 सितंबर, 2022 कर दी है. यह डेडलाइन पहले 30 जून, 2022 थी.

क्या होता है कार्ड टोकनाइजेशन?
टोकनाइजेशन के तहत, कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन के लिए एक यूनिक अल्टरनेट कोड यानी टोकन जनरेट किया जाता है. ये टोकन ग्राहक की जानकारी का खुलासा किए बिना पेमेंट करने की अनुमति देंगे. टोकनाइजेशन सिस्टम का मकसद ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड को रोकना है. आप में से कई लोगों ने शॉपिंग ऐप या वेबसाइट पर ‘सिक्योर योर कार्ड’ या ‘सेव एज पर आरबीआई गाइडलाइन्स’ लिखा देखा होगा. इसे सेव कर ओटीपी दर्ज करने के बाद आपका कार्ड टोकनाइज्ड हो जाएगा.

1 अक्टूबर से क्या बदलेगा?
अगर ग्राहकों ने कार्ड टोकनाइजेशन के लिए सहमति नहीं दी, तो उन्हें हर बार ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए कार्ड वेरीफिकेशन वैल्यू यानी सीवीवी (CVV) दर्ज करने के बजाए अपने सभी कार्ड विवरण नाम, कार्ड नंबर और कार्ड की वैलिडिटी दर्ज करनी होगी. वहीं, कार्ड टोकनाइजेशन की अनुमति देने के बाद ट्रांजेक्शन के समय उन्हें केवल सीवीवी और ओटीपी डालना होगा.

 

 

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