हाल के दिनों में मोदी सरकार पर जी एस टी और महंगाई दर को लेकर चौतरफा हमले हो रहे है पिछली सरकार की उपलब्धि ये रही कि भारत में एक के बाद एक आर्थिक घोटाले प्रकाश में आये और उसका परिणाम रहा भारी मन्दी।
डॉलर एवं अन्य मुद्राओं के सापेक्ष रूपए का भाव लगातार गिर रहा थे। ३ सितंबर २०१३ को डॉलर के सापेक्ष रूपए का भाव ६७ तक जा पहुंचा था, २०१२-१३ में विकास दर गिरकर १० वर्षों के न्यूनतम स्तर ५% तक आ गई थी।
जिस देश का चरित्र टैक्स चोरी और भ्रस्टाचार जब घर कर चुका हो ऐसे में किसी भी आर्थिक सुधार की पहल ठीक उसी दौर से गुजर रही है, जैसे एक माँ प्रसव पीड़ा से गुजरती है। तकलीफे हर कार्य में होती है और बिना चले रास्ता भी नहीं दिखता।
प्याज की कीमते जब कांग्रेस के शासन काल में बढ़ी तो कोई कुछ नहीं बोला, जमाखोरी, मिलावट और आर्थिक अपराध चरमसीमा पर थे। हर किसी को फ्री में चाहिए सामान या फिर बिना टैक्स के !
कुछ मीडिया के साथी बराबर घर-घर जाकर लोगो से जी. एस. टी के बारे में पूछ रहे और ये किसी सुनियोजित कार्यक्रम के तहत चली हुई रणनीति लग रही है, जो टैक्स नहीं देते थे और अब टैक्स देना पड़ रहा है तो नानी याद आ रही।
टैक्स सुधार के लिए सरकार ने सुझाव मांगे है उसे दीजिये, बेकार की राजनीति बंद करिये और यशवंत सिन्हा और शत्रुघन सिन्हा भी बिभीषन न बने।