दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में घर का सपना देखने वाले खरीदारों (Home Buyers) को उपभोक्ता आयोग (Consumer Commission) की तरफ से राहत मिलने लगी है. दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसला में कहा है कि अगर बिल्डर (Builder) की वजह से निर्माण में देरी (Delayed Construction) हुई है तो खरीददार को पैसे का भुगतान (Pay) के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. आयोग ने यह फैसला निर्माण में देरी होने के बाद खरीददार को पैसे का भुगतान नहीं किए जाने और बाद में बिल्डर द्वारा फ्लैट की बुकिंग रद्द किए जाने के बाद आया है. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 आने के बाद देश के कई हिस्सों में उपभोक्ता आयोग सक्रिय हो गई है. उपभोक्ता आयोग अपने फैसले से उपभोक्ताओं को लगातार राहत दे रही है.
आपको बता दें कि गाजियाबाद निवासी अंजू अग्रवाल ने लैंडक्राफ्ट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के गोल्फ लिंक परियाजोना में साल 2014 में 37, 02, 224 रुपये में फ्लैट बुक कराया था. बिल्डर के साथ हुए करार में अंजू को अप्रैल 2017 तक मकान का पजेशन मिलना था. निर्माण में देरी के कारण शिकायतकर्ता ने पैसे का भुगतान बंद कर दिया. इसके बाद बिल्डर ने सितंबर 2019 में बुकिंग रद्द कर दी थी. इसके बाद अंजू ने उपभोक्ता आयोग में बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
उपभोक्ता आयोग का अहम फैसला
दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष संगीता ढींगरा सहगल (Sangita Dhingra Sehgal) और राजन शर्मा की पीठ ने उपभोक्ता के हित में फैसला देते हुए बिल्डर की उन दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता ने समय से पैसे का भुगतान नहीं किया. इसलिए फ्लैट का पजेशन देने में देरी हुई. अब बिल्डर को अंजू अग्रवाल को 29 लाख 39 हजार 738 रुपये छह फीसदी के ब्याज के साथ देना होगा. अगर 8 सितंबर तक बिल्डर ने शिकायतकर्ता को पैसा वापस नहीं किया तो फिर 9 फीसदी ब्याज से पैसा वापस लौटाना होगा. साथ ही शिकायतकर्ता को मानसिक परेशानी के बदले 2 लाख रुपये का मुआवजा और 50 हजार रुपये मुकदमा खर्ज भी देना होगा.
उपभोक्ता विवाद निपटारे में आई तेजी
आपको बता दें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 आने के बाद उपभोक्ताओं से संबंधित निपटारे में तेजी आई है. कुछ दिन पहले ही जोधपुर के दो बिल्डरों की तरफ से तयशर्तों के अनुसार समय पर फ्लैट बना कर नहीं सौंपने के मामले में उपभोक्ता आयोग ने कड़ा रवैया अपनाया था. आयोग ने दो बिल्डरों को फ्लैट निर्माण के नाम पर वसूल किए गए रुपए ब्याज सहित वापस देने का जुर्माना लगाया था.