देश में बेतहाशा बढ़ती महंगाई के बीच अब बिजली का ‘झटका’ भी लग सकता है. भीषण गर्मी में बढ़ी बिजली की मांग पूरी करने के लिए सरकार 7.6 करोड़ टन कोयला आयात करने की तैयारी में है.
दरअसल, देश के पावर प्लांट के पास घरेलू खदानों से आए कोयले की कमी हो गई है और मांग के अनुरूप बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. माना जा रहा है कि मानसून की बारिश की वजह से अगस्त और सितंबर में कोयले का उत्पादन और प्रभावित होगा. ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) करीब 1.5 करोड़ टन कोयले का आयात करेगी.
इसके अलावा देश में बिजली उत्पादन की सबसे बड़ी कंपनी एनटीपीसी और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) भी करीब 2.3 करोड़ टन कोयले के आयात की योजना बना रही है. साथ ही अन्य सरकार और निजी बिजली उत्पादन कंपनियां भी अपनी खपत पूरी करने के लिए 3.8 करोड़ टन कोयले का आयात कर सकती हैं. इस तरह साल 2022 में ही देश में करीब 7.6 करोड़ टन कोयले का आयात होगा, जो ग्लोबल मार्केट के रेट पर होना है.
80 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगा बिल
कोयला आयात करने का सीधा मतलब है कि बिजली उत्पादन अब महंगा हो जाएगा. जाहिर है कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां इस बढ़ी लागत को उपभोक्ताओं से वसूलेंगी और उनके बिल पर बोझ बढ़ जाएगा. अनुमान है कि आने वाले दिनों में बिजली का प्रति यूनिट खर्च 50-80 पैसे बढ़ेगा. मामले से जुड़े दो सरकारी अधिकारियों का कहना है कि प्रति यूनिट खर्च में बढ़ोतरी इस बात पर निर्भर करेगी कि पावर स्टेशन समुद्री बंदरगाह से कितनी दूरी पर स्थित है. इसका मतलब है कि कोयले की बंदरगाहों से स्टेशन तक ढुलाई का खर्च भी कंपनियों की लागत में जुड़ेगा.