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अंतरिक्ष स्टेशन की तैयारी में जुटा इसरो, 2024 में होगा ‘स्पेस डॉकिंग प्रयोग

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने प्रमुख मिशनों के लिए नई समय सीमा तय की है, जिसका पहला सोलर मिशन (सौर मिशन) और तीसरा लूनर मिशन (चंद्र मिशन) अगले साल की पहली तिमाही में होने वाला है. अगले साल के लिए निर्धारित स्पेस एजेंसी का तीसरा साइंटिफिक मिशन स्पेस ऑब्जरवेशन, XpoSat है, जिसे कॉस्मिक एक्स-रे को स्टडी करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसरो के गगनयान मिशन के लिए पहला अबॉर्ट डेमोंस्ट्रेशन इस साल के अंत में निर्धारित है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक स्पेस डिपार्टमेंट में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बुधवार को पार्लियामेंट में दिए एक लिखित जवाब में कहा है कि इसरो 2024 की तीसरी तिमाही में ‘स्पेस डॉकिंग प्रयोग’ भी करेगा. स्पेस डॉकिंग दो अलग-अलग लॉन्च किए गए अंतरिक्ष यान में शामिल होने की एक प्रक्रिया है. इसका मुख्य रूप से मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाता है.

खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना
भारतीय स्पेस एजेंसी ने 2019 में अपने पहले मानव रहित अंतरिक्ष यान मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद ‘पांच से सात साल’ में अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी. तब इसरो के चेयरपर्सन के सिवन ने कहा था कि यह स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम का विस्तार होगा, जिसमें स्पेस स्टेशन का वजन लगभग 20 टन होगा और इसमें लो अर्थ ऑर्बिट या पृथ्वी की निचली कक्षा में लगभग 15 से 20 दिनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को रखने की क्षमता होगी.

गगनयान अबॉर्ट डेमोंस्ट्रेशन मिशन इस साल के अंत में
पार्लियामेंट में अपने जवाब में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि गगनयान मिशन के लिए पहला मील का पत्थर 2022 की अंतिम तिमाही में रखा जाएगा. यह पहला मील का पत्थर गगनयान अबॉर्ट डेमोंस्ट्रेशन मिशन होगा. एबॉर्ट मिशन उन सिस्टम को टेस्ट करने के लिए है, जो अंतरिक्ष यान की विफलता के मामले में बीच उड़ान से क्रू के सदस्यों को बचने में मदद कर सकता है. इसरो ने पहले ही 2018 में पैड अबॉर्ट टेस्ट किया था, जहां लॉन्च पैड पर इमरजेंसी की स्थिति में क्रू के सदस्य अंतरिक्ष यान से बचके निकल सकते हैं.

मालूम हो कि 2023 के लिए निर्धारित सभी तीन साइंटिफिक मिशनों को 2020 के बाद से बार-बार कैंसिल किया गया है, जिसने स्पेस एजेंसी की सभी गतिविधियों को धीमा कर दिया. इसमें लॉन्च की संख्या भी शामिल है. साल 2020 और 2021 में केवल दो मिशन लॉन्च हुए थे.

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