2022 के मुश्किल-भरे 6 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अगले 6 महीनों में भी कोई राहत मिलेगी, ऐसा नजर नहीं आता. रॉयटर्स के एक पोल में दिखाया गया है कि इस पूरे साल भारत में महंगाई का स्तर सेंट्रल बैंक के टोलरेंस बैंड के ऊपर ही बना रह सकता है. यदि ऐसा रहा तो आने वाले महीनों में हमें रेपो रेट में और बढ़ोतरी होती दिखेगी.
सख्त होती ग्लोबल मोनिटरी पॉलिसी के मौजूदा दौर में बाद में प्रवेश करने वालों में से एक भारतीय रिजर्व बैंक ने मई और जून में अपनी रेपो दर में कुल 90 आधार अंकों की वृद्धि की थी. जबकि ग्लोबल संकेत अप्रैल से मिलने शुरू हो गए थे.
ग्लोबल कमोडिटी ने बढ़ाया संकट
वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी ने मुद्रास्फीति को पूरे वर्ष रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की 6 फीसदी के ऊपरी टोलरेंस लेवल से ऊपर रखा है. अब तक, 1.4 अरब के देश में रहने की बढ़ती लागत के लिए भारत की राजकोषीय प्रतिक्रिया (Fiscal Response) मामूली रही है.
4 जुलाई से 11 जुलाई तक में हुए रॉयटर्स पोल के पूर्वानुमान के अनुसार, Q3 और Q4 2022 में मुद्रास्फीति क्रमशः 7.3% और 6.4% रह सकती है. पिछले पोल में, मुद्रास्फीति को वर्ष के अंत तक RBI के टोलरेंस बैंड के अंदर आने के बारे में कहा गया था.
भारत में मुद्रास्फीति अधिक जिद्दी
लाइव मिंट की एक खबर के अनुसार, पैंथियन माइक्रोइकॉनमिक्स के अर्थशास्त्री मिगुएल चांको (Miguel Chanco) ने कहा, “भारत में मुद्रास्फीति क्षेत्र के अन्य हिस्सों की तुलना में बहुत अधिक तकलीफ दे सकती है. चीजें बेहतर होंगी, लेकिन वे एशिया के अन्य हिस्सों में बहुत तेजी से बेहतर होंगी.”
42 अर्थशास्त्रियों के एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में औसत मुद्रास्फीति 6.8% निर्धारित की गई थी, जिसे कि अप्रैल के पोल में 5.5 फीसदी बताया गया. आने वाले दो वर्षों में इसे 5.2% और 4.7% का अनुमान लगाया गया था.
इस तिमाही के अंत तक रेपो रेट हो सकती है 5.50%
आरबीआई द्वारा रेपो दर में और वृद्धि करने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 4.90% है. समझा जा रहा है कि इस साल के अंत तक यह बढ़कर 5.65% हो सकती है. यह जून में लिए गए एक अलग सर्वेक्षण से थोड़ा अधिक है, जिसने तब तक इन दरों को 5.50% पर रखा था. एक लेटेस्ट पोल में, आधे से अधिक अर्थशास्त्रियों, 48 में से 25, ने इस तिमाही के अंत तक दरों के 5.50% या इससे अधिक होने का अनुमान लगाया है