भारतीय स्टार्टअप (Indian Startups) कंपनियों में चालू कैलेंडर साल की दूसरी अप्रैल-जून तिमाही के दौरान निवेश 40 फीसदी घटकर 6.8 अरब डॉलर रह गया. जियो-पॉलिटिकल संकट के कारण स्टार्टअप कंपनियों को मिलने वाले निवेश में कमी आई है. पीडब्ल्यूसी इंडिया (PwC India) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
50 लाख डॉलर रहा फंडिंग का औसत आकार
पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट ‘स्टार्टअप डील ट्रैकर-अप्रैल-जून तिमाही’ के मुताबिक, शुरुआती चरण के डील में कुल मिलाकर 60 फीसदी से अधिक का औसत आकार 50 लाख डॉलर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘लगातार तीन तिमाहियों में 10 अरब डॉलर से अधिक जुटाने के बाद भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में कुल निवेश चालू कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान 40 फीसदी घटकर 6.8 अरब डॉलर तक आ गया.’’
इन कारणों से स्टार्टअप कंपनियों के निवेश में गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती, टेक स्टॉक वैल्यूएशन में कमी, मुद्रास्फीति और जियो-पॉलिटिकल संकट जैसे कारणों को स्टार्टअप कंपनियों के निवेश में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में आए कुल फंडिंग में सॉफ्टवेयर एज सर्विस (SaaS) और फिनटेक कंपनियों का हिस्सा सबसे ज्यादा रहा. इन क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियों को इस दौरान कुल 3.1 अरब डॉलर से अधिक का निवेश मिला.
बेंगलुरु, NCR और मुंबई देश के प्रमुख स्टार्टअप केंद्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंगलुरु, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और मुंबई देश के प्रमुख स्टार्टअप केंद्र हैं. अप्रैल-जून तिमाही में कुल फंडिंग गतिविधियों में 95 फीसदी का योगदान इन शहरों का रहा. इनके बाद चेन्नई और पुणे का नंबर आता है