लगातार गिर रही करेंसी को रोकने और विदेशी मुद्रा के रिजर्व को बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. बुधवार को इनसे जुड़े मानकों में संशोधन किया गया है, जिसके तहत कर्ज में विदेशी निवेश, बाहरी कमर्शियल उधारी, और नॉन-रेजिडेंस इंडियन्स (NRI) डिपॉजिट में बड़े बदलाव हुए हैं.
इस महत्वपूर्ण फैसलों में आरबीआई ने बैंकों को अस्थायी रूप से, 7 जुलाई से प्रभावी, फॉरेन करेंसी नॉन-रेजिडेंट बैंक यानी FCNR(B) और गैर-निवासी बाहरी (NRI) डिपॉजिट करी ब्याज दरों पर मौजूदा नियमों के संदर्भ के बिना बढ़ाने की अनुमति दी है. यह छूट होगी 31 अक्टूबर 2022 तक उपलब्ध है.
रुपये की गिरावट के बीच लिया गया फैसला
विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने के लिए विदेशों से वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) मार्ग के तहत उधारी सीमा दोगुनी कर दी गई है. आरबीआई ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है.
चालू वित्त वर्ष में 5 जुलाई तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 4.1 प्रतिशत गिरकर 79.30 पर आ गया. FPIs (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) ने छह महीनों में 2.32 लाख करोड़ रुपये निकाले, और पिछले 9 वर्षों में विदेशी मुद्रा भंडार से 50 अरब डॉलर की निकासी की है. इन उपायों से फॉरेक्स फंडिंग के स्रोतों में और विविधता लाने और विस्तार करने, अस्थिरता को कम करने और ग्लोबल स्पिलओवर को कम करने की उम्मीद है.
आरबीआई ने कहा कि वह विदेशी मुद्रा बाजार में लिक्विडिटी की स्थिति पर बारीकी से और लगातार निगरानी कर रहा है और बाजार में व्यवस्थित कामकाज सुनिश्चित करने के उद्देश्य से डॉलर की तंगी को कम करने के लिए सभी क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार कदम उठा रहा है. जबकि 24 जून, 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 593.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, तो नए उपायों से आमद को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, क्योंकि आने वाले महीनों में भारत के 621 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण का लगभग एक तिहाई मैच्योरिटी के लिए ड्यू होगा.
FCNR(B) डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें
वर्तमान में, FCNR(B) डिपॉजिट्स पर ब्याज दरें संबंधित मुद्रा/स्वैप के लिए ओवरनाइट अल्टर्नेटिव रेफरेंस रेट (ARR) की उच्चतम सीमा के अधीन हैं, जो 1-3 वर्ष की मैच्योरिटी की जमाराशियों के लिए 250 आधार अंक और 350 आधार अंक ओवरनाइट ARR प्लस की जमाराशियों के लिए है, जिन्की मैच्योरिटी 3-5 साल में होगी. NRI जमाराशियों के मामले में, ब्याज दरें तुलनात्मक रूप से डोमैस्टिक रुपी टर्म डिपॉजिट (Domestic Rupee Term Deposits) से अधिक नहीं होनी चाहिए.