भारतीय की अर्थव्यवस्था रिकवरी की राह पर है, लेकिन महंगाई के दबाव, बाहरी फैक्टर्स और जिओपॉलिटिकल जोखिमों पर करीब से नजर रखने की जरूरत है. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) ने गुरुवार को जारी अपनी फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (Financial Stability Report) में यह बात कही.
केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक स्थितियों का असर दिख रहा है, लेकिन यह रिकवरी की राह पर अग्रसर है. फाइनेंशियल सिस्टम लचीली बनी हुई है और आर्थिक रिकवरी में सहयोगी है. अचानक लगने वाले झटकों का सामना करने के लिए बैंकों के साथ ही नॉन-बैंकिंग संस्थानों पर पर्याप्त कैपिटल बफर है.
महंगाई पर नजर रखने की जरूरत
केंद्रीय बैंक ने कहा कि ऊंची महंगाई के दबाव बाहरी समस्याओं के असर और जिओपॉलिटिकल खतरों से सावधानी से निपटने और पैनी नजर रखने की जरूरत है.
मई में खुदरा महंगाई 7.04 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले महीने के लगभग 8 महीने के उच्चतम स्तर 7.79 फीसदी से कम है. हालांकि महंगाई लगातार 32 महीनों से आरबीआई के 4 फीसदी के मीडियम टर्म टार्गेट से ऊपर बनी हुई है. ज्यादा चिंता की बात यह है कि महंगाई पिछले पांच महीनों से 2-6 फीसदी के टॉलरेंस रेंज के 6 फीसदी के अपर बैंड से ऊपर बनी हुई है.
नीतिगत दर तय करने वाली आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने 8 जून को रोपो रेट 50 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दी थी, जबकि इससे एक महीने पहले रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की गई थी.