भारत में कैंसर का इलाज सस्ता होने की उम्मीद जगी है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मामलों पर संसदीय समिति ने लगातार दूसरे दिन कैंसर के इलाज को अफॉर्डेबल बनाने पर चर्चा की. समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल वर्मा की अगुआई में 28 सदस्यीय समिति की मंगलवार को ये बैठक हुई. इस दौरान पक्षकारों के विचार जाने गए. समिति में राज्यसभा के 7 और लोकसभा के 21 सदस्य हैं. समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि संसदीय समिति ने सोमवार को कैंसर की दवाओं पर जीएसटी हटाने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया था. कैंसर की दवाओं और रेडिएशन थैरपी की कीमतों को काबू में रखने के लिए सख्त उपाय करने की भी बात कही थी.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ सोमवार को हुई बैठक के दौरान संसदीय समिति ने कैंसर को अधिसूचित बीमारी का दर्जा देने का सुझाव दिया था ताकि देश पर पड़ने वाले इसके प्रभावों का आकलन किया जा सके और मरीजों को मदद पहुंचाने के लिये कदम उठाये जा सकें. कैंसर को अधिसूचित रोग घोषित करने की मांग लंबे समय से होती रही है. अधिसूचित रोगों के बारे में सरकारी प्रधिकारी को जानकारी देनी होती है. जानकारी मिलने से अथॉरिटी को उन रोगों पर नजर रखना आसान होता है.
समिति के सदस्यों का स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से कहना था कि देश में कैंसर का इलाज काफी खर्चीला है. ऐसे में इसकी कीमतों पर नियंत्रण की सख्त जरूरत है. कैंसर के इलाज में काम आने वाली दवाओं पर जीएसटी के बारे में चर्चा करते हुए समिति के सदस्यों ने कहा था कि सरकार को ऐसी दवाओं पर से जीएसटी हटाने के उपाए तलाशने चाहिए ताकि इनकी कीमतें कम हो सकें.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को बताया था कि सरकार की तरफ से दवाओं की कीमतों पर नजर रखने वाली अथॉरिटी नैशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) अब तक 86 फॉर्म्यूलेशंस की अधिकतम कीमतें तय कर चुकी है. इससे कैंसर के इलाज में काम आने वाली 526 ब्रांड की दवाओं की एमआरपी 90 फीसदी तक कम हो गई है.