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वेतन, छुट्टियों और पीएफ पर क्‍या होगा नए कानूनों का असर? डिटेल में जानिए हर सवाल का जवाब

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केंद्र सरकार सरकार चार नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारी में जुटी है. फिलहाल देश के 23 राज्‍यों ने लेबर कोड के नए प्रावधानों को स्‍वीकार कर लिया है. अगर ये चार लेबर कोड देश में लागू होते हैं तो इससे कर्मचारियों के वेतन, काम के घटों, वार्षिक छुट्टियों और फाइनल सेटलमेंट में काफी बदलाव हो जाएंगे. सरकार का मानना है कि नए लेबर कानूनों को अपनाने से जहां देश में निवेश बढ़ेगा वहीं रोजगार राजगार सृजन भी ज्‍यादा होगा.

सरकार का कहना हे कि नए लेबर कानून लागू करने का उद्देश्य कामगारों की सामाजिक सुरक्षा जिसमें पेंशन और ग्रेच्यूटी, श्रमिक कल्याण, स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम के हालातों में सुधार करना है. सरकार ने हालांकि अभी नए लेबर कोड लागू करने की तारीख की घोषणा नहीं की है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि जुलाई 2022 में इन्‍हें लागू किय जा सकता है. आइये जानते हैं कि नए 4 लेबर कोड लागू होने पर सैलरी, छुट्टियों, ग्रेच्‍युटी और प्रोविडेंट फंड पर क्‍या असर होगा.

नए लेबर कानूनों में कामगारों की बेसिक सैलरी ग्रॉस सैलरी के कम से कम 50 प्रतिशत रखने का प्रावधान किया जा सकता है. इससे प्रोविडेंट फंड में नियोक्ता और कर्मचारी के योगदान में इजाफा हो जाएगा. लेकिन इससे टेक होम सैलरी घट जाएगी. यानि हर महीने कर्मचारियों के हाथ में कम पैसा आएगा. नए कानूनों के तहत रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली एकमुश्त राशि और ग्रेच्यूटी में भी इजाफा होगा.

छुट्टियों को हर साल भुना पाएंगे
नए लेबर कानूनों में कर्मचारियों की छुट्टियों को भी तर्कसंगत बनाया गया है. नए कानूनों के तहत कर्मचारी अपनी बची हुई छुट्टियों को हर साल भुना सकते हैं. इसका मतलब यह है कि इन छुट्टियों के बदले बन रहे पैसे ले सकते हैं. अभी कंपनी छोड़ने पर ही कर्मचारी लीव इनकैशमेंट करा सकते हैं.

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