निश्चित तौर पर अधिकतर लोगों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) हमेशा निवेश का लोकप्रिय ऑप्शन रहा है. इसका कारण यह है कि इसमें न केवल सुनिश्चित रिटर्न मिलता, बल्कि जोखिम भी कम होता है. फिक्स्ड डिपॉजिट मोटे तौर पर दो प्रकार के होते हैं. इनमें से बैंकों की एफडी सबसे अधिक लोकप्रिय है, वहीं दूसरी कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट है.
कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट में उच्च ब्याज की पेशकश की जाती है. हालांकि, बैंकों की तुलना में उसमें बहुत अधिक रिस्क रहता है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर रिटर्न के मामले में निवेशक बहुत स्पष्ट होते हैं. हालांकि इससे जुड़े रिस्क के बारे में अधिकतर लोगों को अभी भी पता नहीं है. आपको उन रिस्क के बारे में जानना बहुत जरूरी है. अन्यथा आप अपनी कड़ी मेहनत से जोड़ी गई रकम के लिए मोहताज हो जाएंगे. तो आइए, यहां फिक्स्ड डिपॉजिट से संबंधित रिस्क के बारे में जानते हैं.
पूरी तरह सुरक्षित नहीं
आमतौर पर लोग बैंक एफडी को पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं. वैसे तो, एफडी में रकम सुरक्षित रहती है, लेकिन अगर बैंक किसी तरह डिफॉल्ट कर जाए, तो निवेशकों की सिर्फ 5 लाख तक डिपॉजिट ही सेफ रहती है. फाइनेंस कंपनियों पर भी यही नियम लागू है. डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) बैंक डिपॉजिट पर सिर्फ 5 लाख रुपये तक का ही इंश्योरेंस गारंटी देता है.
लिक्विडिटी की समस्या
विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक एफडी में लिक्विडिटी की समस्या होती है. वैसे, जरूरत पड़ने पर मैच्योरिटी से पहले भी आप एफडी से पैसे निकाल सकते हैं, लेकिन उस पर पेनल्टी देनी पड़ती है. एफडी पर पेनल्टी अमाउंट अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकता है. अगर आपने टैक्स सेविंग एफडी में निवेश किया है, तो आप इसे 5 साल से पहले भी निकाल सकते हैं. हालांकि, तब आपको इनकम टैक्स में छूट का फायदा नहीं मिलेगा.