एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की बढ़ती कीमतों और रुपये में आ रही गिरावट से आने वाले दिनों में हवाई किराए (Airfares) में इजाफा हो सकता है. एटीएफ के दामों में पिछले एक साल में 120 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है. प्रमुख एयरलाइन कंपनी स्पाइजेट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह (SpiceJet CMD Ajay Singh) ने कहा है कि अब विमानन कंपनियों के सुचारू परिचालन के लिए हवाई किराए में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया है.
एविशन टर्बाइन फ्यूल की कीमतों में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारी बढ़ोतरी हुई है. स्पाइजेट के सीएमडी ने कहा कि एटीएफ के दामों में हुई वृद्धि अब एयरलाइन कंपनियों पर बहुत भारी पड़ने लगी है. इससे उनका खर्च बहुत बढ़ गया है. अजय सिंह ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की कि वे एटीएफ लगने वाले टैक्स में कटौती करे.
ज्यादा है एटीएफ पर टैक्स
अजय सिंह का कहना है कि भारत में एटीएफ पर दुनिया में सबसे ज्यादा टैक्स लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्पाइजेट के कुल परिचालन खर्च में आधा हिस्सा तो एविएशन फ्यूल टर्बाइन का ही है. डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत ने भी एयरलाइन कंपनियों पर बोझ बढ़ाया है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि एयरलाइन्स की पर्याप्त लागत या तो डॉलर मूल्यवर्ग की है या डॉलर से आंकी जाती है.
किराए की तय है सीमा
25 मई, 2020 के बाद सरकार ने घरेलू हवाई किराए पर फ्लाइट की अवधि के हिसाब से ऊपरी और निचली सीमा तय कर रखी है. 40 मिनट की घरेलू उड़ान के लिए कोई भी एयरलाइन यात्री से 2,900 रुपये से कम और 8,800 रुपये से ज्यादा किराया नहीं ले सकती. किराए की सीमा इसलिए तय की गई थी ताकि यात्रा प्रतिबंधों के कारण एयरलाइन कंपनियों को कम नुकसान हो.
इसी तरह किराए की ऊपरी लिमिट इसलिए तय की गई कि सीट की डिमांड बढ़ने पर एयरलाइन्स यात्रियों से मनमाना किराया न वसूल सके. गौरतलब है कि अप्रैल, 2022 के दौरान करीब 1.08 करोड़ एयर पैसेंजर्स ने डोमेस्टिक फ्लाइट्स से उड़ान भरी. यह आंकड़ा मार्च की तुलना में 2 प्रतिशत ज्यादा है. नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के मुताबिक अप्रैल में सभी एयरलाइंस की सीटें भरने की दर 78 प्रतिशत से ज्यादा रही