भारत को अब तक दुनिया के रक्षा उपकरणों के सबसे बड़े आयातक देश के तौर पर जाना जाता था, विश्व के आयातक देशों की सूची में भारत का स्थान सऊदी अरब के पश्चात दूसरा है. लेकिन हालिया दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) के नेतृत्व में अब भारत, रक्षा उपकरणों के निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 25 देशों की सूची में शामिल हो गया है.
भारत ने यह बनाई रणनीति
पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए है. इसके तहत केंद्र सरकार ने अगस्त-2020 में आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) योजना के अंतर्गत 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी है. केंद्र सरकार ने 209 रक्षा उपकरणों की एक सूची भी बनाई है जिसके आयात को समयबद्ध तरीके से खत्म कर दिया जाएगा. भारत में ही निर्माण के लिए 460 से अधिक लाइसेंस जारी किए हैं. रक्षा उपकरणों का उत्पादन करने वाली कम्पनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके साथ ही सरकारी रक्षा कंपनियों को वित्तीय वर्ष 2023 तक अपने कुल राजस्व का 25 प्रतिशत हिस्सा, निर्यात के माध्यम से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
केंद्र सरकार ने स्वदेशी मिसाइल आकाश के निर्यात को मंजूरी दी
इसके साथ ही 2022-23 के बजट में रक्षा बजट पर खर्च की जाने वाली कुल राशि का 68 प्रतिशत भाग देश में ही उत्पादित रक्षा उपकरणों पर खर्च किए जाने की व्यवस्था की गई. 30 दिसम्बर 2020 को आत्म निर्भर भारत योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने स्वदेशी मिसाइल आकाश के निर्यात को मंजूरी दी. इसका परिणाम यह हुआ कि दक्षिणपूर्व एशियाई देश वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलिपींस के बहरीन, केन्या, सउदी अरब, मिस्र, अल्जीरिया संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों से आकाश मिसाइल को खरीदने को लेकर बातचीत चल रही है.इनके साथ ही फिलीपींस, वियतनाम इंडोनेशिया,सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों से भारत की ब्रह्मोस मिशाइल की खरीदी को लेकर चर्चा हो रही है. इसके साथ ही मोदी सरकार ने कई डिफेंस कॉरिडोर को बढ़ावा दिया.
पिछले 7 वर्षों के दौरान भारत ने 38,000 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरणों का निर्यात किया